नवरात्रि :- शक्ति आराधना का पर्व :-maa durga pic
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18 मार्च से नवरात्री प्रारम्भ हो रही है।

संपूर्ण ब्रह्माण्ड का संचालन करने वाली जो शक्ति है, उस शक्ति को शास्त्रो ने आदि शक्ति की संज्ञा दी हे |

या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ||
नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः ||

अर्थात जो देवी अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश, और समस्त प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हे, उस शक्ति को नमस्कार, नमस्कार बार – बार मेरा नमस्कार हे| इस शक्ति को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र काल का अपना विशेष महत्व हे |

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
जिन घरो मे नवरात्रि पर कलश स्थापना [ घटस्थापना ] होती है उनके लिए शुभ मुहूर्त 18 मार्च का 9-47 से 12-46 लाभ अमरत बेला , 12-22 से 1-10 तक मे अभिजीत बेला मे पूजन करना एव घटस्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा इस दोरान घटस्थापना करना सबसे अच्छा होगा, बसंत नवरात्रि मे कई सयोग बन रहे है नवरात्रि के दिन हिन्दू नववर्ष प्रारम्भ होता है इस दिन रविवार है साथ ही सर्वार्थसिद्ध योग भी बन रहा है इस दिन जो वार होता है उसी का स्वामी वर्ष का राजा होता है अत इस वर्ष का राजा सूर्य है

नवरात्रों में उठाये विशेष लाभ :-

नवरात्री में माँ दुर्गा के उपरोक्त नौ स्वरूपों की आराधना करने से अनेक शुभ फल प्राप्त होते हे |

१. नवरात्री में पूजा करने से कुवारी कन्याओ को मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती हे |
२. विवाहित स्त्रियों को सुखमय जीवन और पति की समृद्धि और दीर्गायु प्राप्त होती हे |
३. संतान सुख एवं संतान का कल्याण प्राप्त होता हे |
४. दुःख – दरिद्र का नाश, लक्ष्मी की प्राप्ति होती हे |
५. रोग के बचाव पारिवारिक कलह समाप्त होते हे |
६. बुरे ग्रहो का प्रभाव नहीं होता हे |

माँ दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु नवरात्र में निम्न बातो का विशेष ध्यान रखना चाहिए |
नवरात्र में साधक को व्रत रखकर माता दुर्गा की उपासना करनी चाहिए | माता दुर्गा की उपासना से सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति बड़ी ही आसान हो जाती हे |
नवरात्री में गट स्थापना के बाद संकल्प लेकर पूजा स्थान पर चौकी बिछाकर उसपर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर माता की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर पंचोपचार पूजा कर धुप दीप एवं अगरबत्ती जलाये | फिर आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से किसी एक मंत्र का यथा सम्भव जाप करे |

नवरात्री में जाप करने हेतु मंत्र :

१. ॐ दुं दुर्गायै नमः
२. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे

नवरात्र काल में नौ कन्याओ को अंतिम नवरात्र को भोजन अवश्य कराये | नौ कन्याओ को नवदुर्गा मानकर पूजन करे |
नवरात्री काल में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती हे |

जिन जातको के कुंडली में शुक्र ग्रह पीड़ित हे या शुक्र मारक स्थानो में बैठा हे या ख़राब शुक्र की दशा या अंतरदशा चल रही हो ओर राहू केतू के गोचर से जो मानसिक ओर शरारिक परेशानी चल रही है उसके लिए तो उन्हें देवी आराधना अवश्य करनी चाहिये और यदि हो सके तो योग्य ब्राह्मणो के द्वारा शतचंडी का पाठ या संभव न हो तो एक ब्राह्मण द्वारा या स्वयं भी दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए | इससे ग्रहो की शांति होती हे और हमें शुभ फल प्राप्त होते हे |