मक्ररमकर
यह सम, स्त्री तथा चर राशि हैं। पृथ्वी तत्व एवं स्वभाव सोम्य है। वात प्रधान व् दक्षिण दिशा को सूचित करती है । जाति वैश्य तथा रंग स्याह, काला है। यह रात बलि और इसका विचरण स्थान भूमि है । इसका प्रभाव सर्द शुष्क है। तथा सांकेतिक चिन्ह मगरमच्छ है। इसका स्वामी ग्रह शनि, मंगल इसमें उच्च फल का तथा गुरु नीच फलदायक है।

ये जातक दुबले पतले होते है और धीरे धीरे बढ़ते फूलते है युवा होते ही कद भी लम्बा हो जाता है शरीर पतला होता है तथा विशेष सुन्दर नहीं होता है। गर्दन पतली एवं कुछ छोटी होती है। बाल घने काले तथा साधारण घुटने कुछ कमजोर होते है।

ये अनुशासनप्रिय, कुछ घमंडी, अपने बारे में ही सोचने व् करने वाले , मितव्ययी तथा हर काम को सावधानी के साथ धीरे धीरे लेकिन फुर्ती के साथ करते है। ये हर काम को व्यवसायिक दृष्टि से देखते है। काम को सलीके से तथा अपने ढंग से धीरे धीरे व् सब्र के साथ करते है। पूरी तरह सोच विचार के पश्चात ही कोई निर्णय करते है। सहनशक्ति अधिक होती है एवं संगठन की शक्ति बढ़िया होती है। ये आशावादी कम ही होते है। ये शांत/मूक चित, सहनशील, गहरी सोच विचार करने वाले एवं सत्ता के भी भूखे होते है। ये आज्ञाकार एवं विश्वासपात्र तो होते ही है। पर इसका दिखावा नहीं करते। राजनीति के दावे पेच ये खूब जानते है तथा अपने हित के लिये कुछ करते एवं पलटी मारते है। यद्यपि स्वभाव में उत्साह होता है। परन्तु ये क्रोध में भी आ जाते है और झगड़ा भी करते है। इनकी इच्छाशक्ति प्रबल होती है। एकाधिक कार्यो में ये समान रूप से माहिर होते है परन्तु इनमे सच्चरित्रवानता की कमी होती है। सोचे समझे बिना काम ही करते है। इनमे आत्मविश्वास की कमी नहीं होती परन्तु एक मतानुसार ये कायर डरपोक एवं लोभी होते है।यदि लग्न तथा लग्न स्वामी पर शुभ प्रभाव हो एवं अशुभ प्रभाव न हो तो ये जातक ईमानदार, निष्ठावान, विश्वसनीय होते है। आलसी नहीं होते तथा काम में लगे रहते है व् पूरी मेहनत करते है । यदि कुप्रभाव हो तो जातक बेईमान, स्वार्थी, लालची, कंजूस, आलसी एवं अत्यंत निराशावादी बन जाता है। ये जातक पुराने विचारो के होते है। जीवन में कठिनाइयां एवं रुकावटे रहती है परंतु ये चिंता नहीं करते। ये जिस काम में हाथ डालते है उसे तब तक नहीं छोड़ते जब तक सफल न हो जाए।

भाई-बहन समान होते है तथा जातक का बड़ा भाई प्रायः होता है। भाई इनकी सहायता करते है हालांकि ये प्रत्युत्तर कम ही देते है।

पढाई भी ये खूब करते है । ये सहनशील एवं अध्यनशील होते है। पढाई में कठिनाइयां तथा रुकावटे आती है पर ये धैर्य तथा हिम्मत के साथ लगे रहे तो सफल होते है।

इन्हें शत्रु का भय होता है एवं अधिक मित्र शीघ्र नहीं बनाते पर जिनके साथ मित्रता करते है जो भी करवाना चाहे करवा लेते है । मित्र सहायक सिद्ध होते है।

विवाह देर से होता है तथा पत्नी सुन्दर होती है एवं बड़ी होशियार, चुस्त होती है। ये अच्छे पति होते है तथा प्रेम का दिखावा कम ही करते है। घर हो अथवा दफ्तर हर जगह अनुशासन को पसंद करते है इनके व्यवहारिक जीवन में तथा सुख में लोगो द्वारा अड़चने डाली जाती है बच्चें अधिक नहीं होते। पहली संतान प्रायः लड़की होती है। इनके अनुशासन वाले व्यवहार एवं उदास से स्वभाव के कारण बच्चे भी उतने क्रियाशील , चुस्त, नही होते पर पाँचर्वे सथान पर शुभ प्रभाव हो तो बच्चे चुस्त होते है।

बड़े बड़े संगठनों को कंट्रोल करना, कार्यालयों तथा फैक्ट्रीयो के हेड, टीचर , प्रोफ़ेसर, अध्यापक, सरकारी अथवा उद्योग में नोकरी, तथा विज्ञानं के कामो में सफल होते है।
जीवन के 1,4,8,9,15,16,17,19,
21,22,24,25,26,31,32,35,37,39,40,44,45,46,53,54,55,58,62,67, वर्ष में पढाई, शादी विवाह, कारोबार, तरक्की, उन्नति, यात्रा, संतान आदि हेते महत्वपूर्ण घटनाएं घटती है। यात्राएँ तो होती है परंतु अड़चने आती है।

दिन शनिवार, रंग काला एवं 8 की संख्या शुभ फलदायक होती है। इन जातकों के जीवन में 1,4 की संख्या भी बड़ी महत्वपूर्ण होती है। इनका रत्न नीलम है दूसरी ऊँगली में धारण करना फलदायक है।

उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बला-बल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना