राहू और केतु का क्रमशः कर्क और मकर राशि में गोचर :-
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राहू और केतु १८ अगस्त को गोचरवश क्रमश सिंह और कुम्भ राशि से कर्क और मकर में आ चुके है | विभिन्न राशियों पर इनके गोचर का क्या शुभाशुभ फल होगा, वह यहा वर्णित किया जा रहा है |
मेष राशि :-
मेष राशि के लिए राहू का गोचर केंद्र माता तथा भूमि , भवन मे कर्क राशि मे है । मेष राशि वालों के माता भूमि मकान तथा मातृभूमि के सुख में कमी का सामना करना पड़ सकता है। तथा घरेलु शांति में भी कमी आ जाती हे तथा मेष राशि वालों को मानसिक अशांति का शिकार होना पड़ेगा । तथा कभी सुख और दुःख का अनुभव होता है गुप्त युक्तियों द्वारा विशेष प्रयत्न करने पर भी उसे अधिक सफलता प्राप्त नहीं होती है
मेष राशि के लिए केतु का गोचर दसवे राज्य तथा पिता के भवन मे शनि की मकर राशि से रहेगा । पिता एवं राज्य के द्वार सकट एवं परेशानी के योग उपस्थित होते रहते हे तथा व्यवसाया-संचालन के क्षेत्र मे भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हे केतु के स्वाभाविक प्रभाव के फलस्वरूप उसे अपने व्यवसाय मे कई बार प्रयत्न करना पड़ता हे तथा गुप्त युक्तियों एवं कठिन परिश्रम के द्वरा सफलता एवं मान-प्रतिष्टा की प्राप्ति होती हे
वृष राशि :- वृष राशि के लिए राहू का गोचर तीसरे पराक्रम तथा भाई के घर में हौ । इसके प्रभाव से जातक के पराक्रम में कमी आ जाती हे तथा भाई बहनो के पक्ष में भी कष्ट का अनुभव कराता हे इसके बावजूद भी तृतीयभाव में स्थित क्रूर गृह अधिक शक्तिशाली होता हे इस सिदांत के आधार पर जातक का हौसला बढ़ा रहेगा मन के भीतर गुप्त चिंताओं तथा कमजोरियों के रहते हुए भी प्रकट रूप मे भी जातक हिम्मत वाला बना रहेगा !
नवे त्रिकोण तथा भाग्य भवन पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक कठिन परिश्रम के द्वरा अपने भागय की उन्नती करता हे इसी प्रकार धार्मिक क्षेत्र मे भी कुछ कमी के साथ सफलता प्राप्त करता है वह अपनी भगय व्रद्धि के लिए बड़ी हिम्मत तथा गुप्त शक्तियों से काम लेता हे तथा धर्म मे आस्था होते हुए भी उसमे कोई विशेष श्रद्धा नही होती हे
मिथुन राशि :-
दूसरे धन एवं कुटुंब के भवन में स्थित राहु के प्रभाव से जातक को धन सम्पति एवं कुटुंब के मामले मे बहुत हानि उठानी पड़ती हे तथा कष्टो का सामना करना पड़ता हे! वह
धन प्राप्ति के लिए गुप्त व्यक्तियों का आश्रय लेता हे तथा कठोर परिश्रम करता हे फिर भी उसे कठिनाईया निरंतर परेशान करती रहती हे ऐसे जातक को अपने जीवन में बहुत समय बाद धन का अल्प सुख प्राप्त होता हे !
आठवे आयु एव्म पुरातत्त्व के भवन मे शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक को अपनी आयु के संबंध मे अनेक बार संकटों का सामना करना पड़ सकता हे तथा पुरतात्वों कि भी कुछ हानी होती हे परंतु केतु के मित्र राशिस्थ होने के कारण वह परेशानी के समय भी अपने को संभाले रहता है तथा प्रत्यक्ष रूप मे हिम्मत एवं बाहादुरी का परदर्शन करता रहता हे एसी ग्रह स्थिति वाले जातक को उदर-विकार से भी ग्रस्स्त होना पड सकता है ।
कर्क राशि :-
पहले केंद्र तथा शरीर के स्थान की कर्क राशि पर स्तिथ राहू के प्रभाव से जातक
के शरीर पर किसी गहरी चोट अथवा घाव का निशान हो सकता हे तथा शारीरिक सौंदर्य एवं स्वस्थ्य में भी कमी रहती हे चेचक की बीमारी होने की भी संभावना रहती हे मानसिक शक्ति दुर्बल होती हे तथा कभी कभी मृत्यु तुल्य कष्ट एवं रोग का शिकार भी बनना पड़ता हे ऐसा व्यक्ति अपनी प्रसिद्धि एवं प्रभाव वृद्धि
के लिए गुप्त युक्तियों का आश्रय लेता हे !
सातवें केंद्रे,स्त्री तथा व्यवसाय के भवन मे शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक को स्त्री पक्ष मे हानि एवं कष्ट का सामना करना पड़ता हे तथा व्यवसाय के क्षेत्र मे भी कठिनाईयों अनुभव होता हे एसे व्यक्ति कि मूत्रेदीय मे’ विकार होता हे उसकी विषयेच्छा बड़ी रहती हे वह गुप्त युक्तियों से काम लेकर कठिनाइयों पर विजय पाता है । इस समय आपके स्वभाव मे जिद्दी पन होता है।ओर आप कठिन परिश्रम भी करते है ।
सिंह राशि :-
बाहरवें व्यय स्थान में कर्क राशि पर राहु के प्रभाव से जातक को अपना खर्च
चलाने के लिए हर समय चिंतित रहना पड़ता हे तथा कभी कभी घोर संकटो का सामना भी करना पड़ता हे
तथा उसे बाहरी स्थान के सम्बन्ध से भी हानि उठानी पड़ती हे मन की प्रबल शक्ति के द्वारा प्रयत्न परिश्रम एवं गुप्त युक्तियों के बल पर अंत में उसे थोड़ी बहुत सफलता मिलती हे !
छठे शत्रु एवं रोग भवन मे शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक अपने परिश्रम द्वारा शत्रु पक्ष पर विज्य प्रप्त करता हे तथा कठिनईयों को बड़ी-हिम्मत एवं ध्रेये के साथ पार करता हे वह बड़ी-बड़ी मुसीबते आने पर घबराता नही हे तथा गुप्त युक्तियों एवं आंतरीक साहस के बल पर निरंतर आगे रहने का प्रयत्न्न करता हे उसे ननिहाल’के पक्ष से कुछ हानी प्राप्त होती हे
कन्या राशि :-
ग्यारवे लाभ भवन में कर्क राशि पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक की आमदनी में वर्द्धि होती हे परंतु कठिनाइयों का सामना भी बहुत करना पड़ता हे कभी कभी विशेष लाभ भी हो जाता हे तो कभी कभी हानि भी हो जाती हे अत्यधिक परिश्रम धैर्य साहस एवं गुप्त युक्तियों के बल पर वह लाभ उठाने का विशेष प्रयत्न करता हे परन्तु वह कभी कभी धोखा भी खा जाता हे !
पांचवें त्रिकोण,विद्या एवं संतान के भवन मे मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक को संतान पक्ष से चिंता बनी रहती हे तथा विद्या प्राप्ति के लिए भी विशेष परिश्रम करना पड़ता हे तथा कठिनाइया उठानी पड़ती हे एसा व्यक्ति बातचीत मे बहुत उग्र होता हे वह अपनी विद्या बुद्धि कि कमी को महसूस करता है ।
तुला राशि :-
दसवे केंद्र राज्य पिता और व्यवसाय के भवन में अपने शत्रु चन्द्रमा की कर्क राशि पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक को पिता के सुख में कमी रहती हे साथ ही राज्य के क्षेत्र में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता हे व्यवसाय के क्षेत्र में उसके समक्ष बड़ी बड़ी कठिनाइया आती हे तथा उन्नति के मार्ग में रुकावटे पड़ती हे ऐसा जातक बहुत परेशानियों तथा कठिनाइयों के बाद ही उन्नति एवं सफलता प्राप्त कर पाता हे
तुला राशि के लिए केतु का गोचर चोथे,माता एवं भूमि के भवन मे रहेगा । इसके प्रभाव से माता, भूमि एवं मकान के सुख मे कमी रहती है । वह घरेलू झंझटो का शिकार बना रहता है । कभी कभी उसके परिवार मे घोर अशांति भी हो सकती है । फिर वह अपने साहस,बुद्धि,एवं गुप्त युक्तियों के बल पर सफलता प्राप्त होती है।
वृश्चिक राशि :-
नवे त्रिकोण में भाग्य एवं धर्म के भवन पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक की भाग्योन्नति में बड़ी बधाएं आती हे तथा धर्म के प्रति उसकी अश्रदा बनी रहती हे ऐसा व्यक्ति मानसिक चिंताओं में ग्रस्त बना रहता हे वह कई बार निराश भी हो जाता हे तथा वह भाग्योन्नति के लिए न्याय विरुद्ध आचरण भी करता हे अनेक प्रकार की मुसीबते उठाने के बाद में उसे थोड़ी बहुत सफलता प्राप्त होती हे
तीसरे-भाई-बहन एवं पराक्रम के स्थान मे अपने मित्र शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक के पराक्रम मे अत्यधिक व्रद्धि होती हे ऐसा व्यक्ति बड़ा परिश्रमी,साहसी होता हे भीतर से कमजोरी का अनुभव करने पर भी वह बाहर से बड़ी हिम्म्त का प्रदर्शन करता हे उसे झगड़े-झझट के मामलो मे सफलता प्राप्त होती हे परंतु भाई-बहन के संबंधो से उसे सदेव ही परेशानी एवं कष्ट का अनुभव होता रहता हे
धनु राशि :-
आठवे आयु एवं पुरातत्व के भवन में कर्क राशि पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक को अपनी आयु (जीवन ) के पक्ष में कई बार संकटो का सामना करना पड़ सकता हे कभी कभी मृत्यु तुल्य स्तिथि भी बन जाती हे उनके पेट में विकार रहता हे तथा पुरातत्व शक्ति के हानि भी होती हे ऐसा व्यक्ति गुप्त व्यक्तियों के आश्रय से अपने जीवन को चलाता हे परन्तु उसे परेशानिया घेरे रहती हे
दूसरे धन तथा कुटुंब के भवन मे अपने मित्रे शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभावा से जातक को कोटुम्भिकसुख मे कमी बनी रहती हे और कोई-न-कोई क्लेश खड़ा हो जाता हे वह धन प्राप्ति क लिए अत्यधिक परिश्रम करता हे, परंतु कभी-कभी उसे धन के विषय मे घोर संकटों का सामना करना होता हे और त्र्र्ण लेकर के अपना काम चलना पड़ता हे एसा व्यक्ति बड़ा परिश्रमी धेर्यवान तथा हिमत्ती होता हे
मकर राशि :-
सातवे केंद्र स्त्री तथा व्यसाय के भवन में कर्क राशि पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक को स्त्री पक्ष में कष्ट होता हे तथा व्यसाय के क्षेत्र में भी कठिनाइया आती रहती हे उसकी जजननेंद्रिय
में भी रोग होता ऐसा व्यक्ति अपने मनो बल कूट निति एवं गुप्त युक्तियों के बल से कठिनाइयों पर विजय प्राप्त
करता हे फिर भी उसे कुछ न कुछ मानसिक कष्ट बना रहता हे
पहले केद्रे एवं शरीर स्थान मे अपने मित्र शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक के शारिरिक सोंदर्य तथा स्वास्थ्य मे कमी रहती हे और कभी चोट के लगने कि संभावना भी उपस्थिथ होती हे व्यक्ति इस अवधि मे उग्र तथा जिद्दी स्वभाव का होता हे वह अपने प्रभाव को बड़ाने के लिए गुप्त युक्तियों का आश्रय लेता हे परंतु अपने शरीर के भीतर किसी विशेष कमी का अनुभव भी करता रहता हे
कुम्भ राशि :-
छटे रोग तथा शत्रु स्थान में कर्क राशि पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक शत्रु पक्ष पर अपना बड़ा भारी प्रभाव रखता हे तथा गुप्त युक्तियों चातुर्य एवं बुद्धी बल से जगड़े- झंझट के मामलो में सफलता प्राप्त करता हे वह भीतरी रूप से परेशानी का अनुभव करने पर भी अपने धैर्य तथा साहस को नहीं खोता हे अपने प्रबल मनोबल एवं बुद्धि बल से अपने कठनाई पर विजय प्राप्त करता हे
बारहवें व्यय स्थान मे अपने मित्रे शनि कि मकर राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक को अपने खर्च के संबंध मे बड़ी कठिनाइया उठानीपड़ती हे कभी-कभी तो उसे अत्यधिक चिंतित हो जाना पड़ता हे वह अपना खर्च चलाने के लिए कठोर परिश्रम करता हे,तथा गुप्त आश्रय भी लेता हे उसे बाहरी स्थानो के संबंध से कुछ शक्ति एवं लाभ कि प्राप्ति होती हे
मीन राशि :-
पांचवे त्रिकोण विद्या बुद्धि एवं संतान के भवन की कर्क राशि पर स्तिथ राहु के प्रभाव से जातक को विद्या अध्यन के क्षेत्र में भी कठिनाइया आती हे तथा संतान पक्ष में भी कष्ट होता हे ऐसे व्यक्ति की बोली में रूखापन होता हे तथा मस्तिष्क में चिंताए घर किये रहती हे वह सत्यासत्य एवं उचित अनुचित का विचार किये बिना अपनी सुख वर्द्धि का प्रयत्न करता हे तथा मन को प्रसन्न रखना चाहता हे परन्तु कभी कभी उसे संतान पक्ष से विशेष कष्ट प्राप्त होता हे तथा चिंताए भी परेशां करती हे
मीन राशि के लिए केतु का गोचर ग्यारहवे लाभ भवन मे है ।आमदनी मे लाभ होता है । अपने लाभ को बड़ाने का प्रयत्न भी करते है। इस अवधि मे आप स्वार्थी,हिमट्टी,होगे ।
ये राहू का गोचर चन्द्र राशि से लिया गया है यदि आपकी कुंडली मे राहू की स्टिथी अच्छी है तो आपकी राशि के लिए राहू केतु के बुरे फलो मे कमी रहेगी ओर उस भाव से संबन्धित बातों मे लाभ होगा
उपाय :-
1 राहू के लिए राहू गायत्री मंत्र का जाप करें।ओर केतु के लिए केतु गायत्री मंत्र का जाप करें।
2 दुर्गा सप्तसती मे प्रकाशित देवी कवच ओर सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करें।
3 त्रयम्बक मंत्र का जाप करें।
4 पेठे की मिठाई,सबूत दालें या अनाज,ऊन का पहनने का कपड़ा ,कम्बल का दान करें राहू के लिए
5 रंगबिरंगा कम्बल,अनार।साबुतउड़द ,मुह देखने का सीसा ,बिस्तर,आदि केतु के लिए दान करें ।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |