सूर्य में राहु की अंतर्दशा फल:

सूर्य में राहु की अंतर्दशा फल:- => राहु यदि लग्न से केंद्र या त्रिकोणगत हो तो सूर्य की दशा में राहु की अंतर्दशा आने पर दो मास धननाशकर तथा भयप्रद होते है। => उस समय चोर, सर्प, वर्ण का भय, स्त्री तथा पुत्र को कष्ट होता है।दो महीने के बाद सुख प्राप्ति होती है। =>…

सूर्य में मंगल की अंतर्दशा:-

सूर्य में मंगल की अंतर्दशा:- => मंगल यदि अपने उच्च स्व भवन, लाभ स्थान, केन्द्र या त्रिकोण में हो तो सूर्य की दशा में मंगल की अंतर्दशा आनेपर शुभकार्य , धन-धान्य वृद्धि, घर, क्षेत्रादि का लाभ , रक्त वस्त्रप्राप्ति, ये सब फल होते है। => वही भोम लग्नेश के साथ हो तो सौख्य, राजप्रियता, भाग्येश…

सूर्य में चंद्रमा की अंतर्दशा का फल:-

= चन्द्रमा यदि लग्न से केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो सूर्य की दशा में चंद्रमा का अन्तर विवाहादि शुभकार्य कारक, धन- धान्य की स्मृद्धि, घर, भूमि, पशु, वाहन, तथा अन्य संपदाओं की वृद्धिकारक होता है। = यदि चन्द्र उच्च या स्व भवन में हो तो स्त्री सुख धन प्राप्ति, पुत्रसुख राज सम्मान, तथा…

सूर्य में सूर्य दशा फल:- <= पराशर ने कहा सूर्य अपने उच्चराशि, केन्द्र लाभस्थान अथवा त्रिकोण में हो अपनी दशा तथा अपनी अंतर्दशा में धनधान्यादि लाभकारी होते है। <= नीचादि अशुभ राशिस्थित होने पर विपरीत फल देते है। <=सूर्य द्वितीयेश, सप्तमेश ( मारकेश) हो तो अपमृत्यु का भय होता है। उपाय <= आरोग्य के लिए…

सूर्य का धनु राशि में प्रवेश :

सूर्य का धनु राशि में प्रवेश :- ==================== 15 दिसम्बर 2018 को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके है.आइये देखते है की यह आपकी राशि में क्या शुभ अशुभ फल लेकर आये है . मेष राशि :- धर्म तथा विद्या के घर सूर्य अपने गुरु की धनु राशि में बैठा हुआ है | इसके…

चामर योगः

चामर योगः- लग्न स्वामी अपनी उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो तथा गुरु उसे देखता हो, तो चामर योग कहलाता है। यदि लग्न में या सप्तम स्थान में या नवम अथवा दशम स्थान में दो शुभ ग्रह हो तो भी चामर योग कहलाता है। फल:- चामर योग में उत्पन्न जातक उच्च , पूर्ण प्रतिष्टित…

वीर योगः-

वीर योगः- तीसरे भाव में कोई भी दो पापग्रह और एक सौम्य ग्रह हो तथा उसे चन्द्र देखता हो तो वीर योग होता है। फल:- इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति पुलिस या मिलिटरी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता है तथा प्रसिद्ध होता है। नोटः:- तीसरा भाव वीरता आदि कार्यो में ही सम्बन्ध…

मालिका योगः:

मालिका योगः:- किसी भी भाव से 7 ग्रह 7 भावो में (सू . चं . मं . बु . ब्र. शु . श ) हो तो भाव सम्बन्धी मालिका योग होता है फल- यदि लग्न से लगातार सातो ग्रह सात भावो में हो , तो लग्न मालिक योग कहलाता है। यह योग होने पर जातक…

महायोग्य योगः-

महायोग्य योगः- पुरुष की कुण्डली हो, दिन का जन्म हो तथा सूर्य, चन्द्र और लग्न अयुग्म राशियों (1,3,5,7,9 व् 11) में हो। इसी प्रकार स्त्री की कुण्डली हो, रात्रि का जन्म हो तथा सूर्य, चन्द्र और लग्न युग्म राशियों (2, 4, 6, 10, 12) पर हो तो महायोग्य होता है। फल:- इस योग में जन्म…

देवगुरु ब्रहस्पति का वृश्चिक राशि में गोचर :-

देवगुरु ब्रहस्पति का वृश्चिक राशि में गोचर :-   देवगुरु ब्रहस्पति को 9 ग्रहो मे से सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है यह साल मे एक बार एक राशि से दूसरी राशि मे गोचर करता है जिसके हर राशि मे कुछ शुभ अशुभ फल होते है आइये देखते है की देवगुरु आपकी राशि मे क्या…

नवरात्रि :- शक्ति आराधना का पर्व :-

नवरात्रि :- शक्ति आराधना का पर्व :- ======================= शारदीय नवरात्रि दुर्गा पुजा 10 अक्टूबर 2018 बुधवार, कलश स्थापना घटस्थापना का शुभ मुहूर्त =06.22 से 07.25 तक मुहूर्त की अवधि 01 घंटा 02 मिनट या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता || नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः || अर्थात जो देवी अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश,…

काहल योगः

काहल योगः- =नवम भाव का स्वामी और चतुर्थ भाव का स्वामी परस्पर केन्द्र में हो और लग्नेश बलवान हो तो काहल योग होता है। =चौथे भाव का स्वामी अपने उच्च, नीच या स्वराशि पर हो एवं दशम भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या उसके द्वारा हो तो काहल योग होता है। फल- काहल…

कैसा रहेगा बुध का तुला में राशि में गोचर :- =========================== 6 अक्टूम्बर 2018 से बुध तुला राशि में प्रवेश कर चूके है यह गोचर आपके जीवन में किस तरह का परिवर्तन लाएगा और आपकी राशि पर इस का क्या प्रभाव रहेगा उसे वर्णित किया जा रहा है | मेष राशि :- बुध के अपने…

पूर्णायु योगः

पूर्णायु योगः- यदि केन्द्र स्थान शुभग्रहों से युक्त हो, लग्नेश शुभग्रह के साथ बैठा हो तथा गुरु द्वारा देखा जाता हो, तो पूर्णायु योग होता है। =यदि लग्नेश केन्द्र स्थान में हो तथा उसके साथ गुरु और शुक्र बैठे हो तो  उपयुक्त योग बनता है। =यदि तीन ग्रह उच्चराशि के हो तथा लग्नेश व् अष्टमेश…

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग

शुभग्रह कृतोरिष्ट भंग योग:- बृहस्पति, शुक्र और बुध इनमे से एक भी ग्रह बलवान होकर केन्द्र में हो तथा उसका पापग्रहों से सम्बन्ध न हो , तो उपयुक्त योग बनता है। फल- उत्पन्न अनिष्ट के शांत होने पर शुभग्रह जातक को अपने से सम्बन्धित शुभफल प्रदान करते है। नोटः- शुभग्रह छह स्थितियों में अनिष्ट करते…