बुध

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल बुध पहला भाव:- यदि बुध पहले भाव में हो तो विद्वान, नम्र, धनी, मधुरभाषी, गणितज्ञ, व्यापारी, सहायक, युक्तियुक्त, उदार, हंसी मजाक वाला स्वभाव, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला, शराब तथा खाने पीने वाला, ससुराल एवं सन्तान पक्ष बुरा। बुद्धिमान, सुन्दर, मित्रप्रिय, बंधुपोषक होता है। दूसरा भाव:- यदि बुध…

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल मंगल पहला भाव:- यदि मंगल पहले भाव में हो तो भाइयो में बड़ा हो अन्य भाई बहनों हो, बहन धनी, राज दरबार, सरकारी नोकरी में ऊँचा दर्जा, डॉक्टर यदि नहीं तो मेडिकल एवं स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी। विक्त स्वभाव, पुलिस, सेना अधिकारी, जल्दी जल्दी काम करे, उतावला, महत्वाकांशी,…

चन्द्

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल चन्द्र पहला भाव:- यदि चंद्रमा पहले भाव में हो तो यात्रा से लाभ, तरस तरस कर प्राप्त बच्चा, जन्म हस्पताल, बहने अधिक, औरत आने से माता दुखी हो। सुन्दर, दानी, विद्वान, मानसिक गड़बड़, उच्च पद प्राप्त करे। स्वास्थ्य में गड़बड़, विद्या उत्तम। यदि चन्द्रमा लग्न में हो तो…

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल सूर्य

ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल सूर्य पहला भाव:- अगुआ, सरकारी सेवा, प्रबन्धक, राज दरबार उत्तम, साहसी अनुशासनपूर्ण पिता की सेवा करने वाला, डॉक्टर, अपने सम्मान का ध्यान रखने वाला, दृढ़प्रतिज्ञ, शरीर पर घाव लगे, अहंकारी, क्रोधी, घमंडी, जिद्दि, स्त्री स्वास्थ्य बुरा, गृहस्थ में गड़बड़, पित्त व् वायु विकार, सिर पर बाल कम। कठिनाइयों…

ग्रहों के दोष को कम करने के लिए वेदों में बहुत सी जड़िया भी बताई गई है

ग्रहों के दोष को कम करने के लिए वेदों में बहुत सी जड़िया भी बताई गई है। ग्रहों के दोष को दूर करने की योग्यता देकर देवताओं द्वारा वनस्पतियो में निहित उन औषधि मणियों को यथासंभव धारण करना, अपने बटुए या गल्ले आदि में रखना या निजी प्रयोग के स्थानों पर सुरक्षित रखना उपयोगी है।…

राहू, केतू के विशेष उपय l विशेष उपाय इस लिए दिये जा रहे है की अनुभव मे आया है की जिन लोगो की जन्म कुंडली मे राहू केतू कर्क मकर मे है या केतू कर्क ओर राहू मकर मे है तो उनको मानसिक, शारीरिक, परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योकि इस समय गोचर…

केतु के प्रभाव

केतु के प्रभाव केतु राहु की तरह यह भी छाया ग्रह ही है। जिस राशि,नक्षत्र अथवा जिस ग्रह के साथ दृष्टि सम्बन्ध बनाता है उसी प्रकार का ही यह प्रभाव करता है। यह शास्त्रो के अनुसार मोक्ष का कारक माना गया है। यह सदा वक्रीय रहता है। राहु केतु एक दूसरे से सातवे रहते है।सारा…

राहु के प्रभाव

राहु के प्रभाव राहु यह राशि चक्र में कल्पित बिन्दु स्थान ही है। इसे शास्त्रो में छाया ग्रह कहा जाता है। जिस राशि नक्षत्र में होता है अथवा जो ग्रह इस पर दृष्टि सम्बन्ध बनाते है उस अनुसार ही फल देता है यह सदा वक्रीय चलता है और राशि चक्र पूरा करने में लगभग 18…

शनि के प्रभाव

शनि के प्रभाव शनि शनि मकर एवं कुंभ राशि का मालिक है तथा स्वभाविक कुण्डली में यह 10 वे और 11 वे भाव का भी स्वामी है। दसवा भाव पिता रोजगार, कारोबार, परिश्रम, मान सम्मान, पर आदि से सम्बंधित है। शनि सब पर प्रभाव डालता है तथा कारक भी है। शनि को सूर्य के चारो…

शुक्र के प्रभाव

शुक्र के प्रभाव शुक्र यह व्रष एवं तुला राशि का स्वामी है।साधारण अवस्था की कुंडली में यह दूसरे व् सातवे भाव का मालिक है यह साधारणतया राशि चक्र 13 माह में पूरा करता है। 18 महीनों में यह लगभग 40 दिन वक्रीय ही रहता है। इस समय में भावात्मक गड़बड़, उतेजना में उतार चढ़ाव, लड़ाई…

गुरु का प्रभाव

गुरु का प्रभाव गुरु यह शुभ ग्रह है। धनु एवं मीन राशि का स्वामी है। साधारण स्वभाविक कुण्डली में यह 9 वे तथा 12 भावो का स्वामी है। यह एक राशि में प्रायः एक वर्ष रहता है ओर सारा राशि चक्र घूमने के लिए लगभग 12 वर्ष लगते है। बारह महीनों में यह लगभग 4…

बुध का प्रभाव

बुध का प्रभाव बुध यह मिथुन एवं कन्या राशि का स्वामी है। साधारण अथवा स्वभाविक कुण्डली में यह तीसरे भाव का स्वामी है जो की कथन, विचारो को प्रगट करने का भाव है। इस प्रकार यह छठे भाव का भी मालिक है जो की स्वास्थ्य तथा सर्विस का भाव है। यह हाथ, बाहों, कन्धे, फेफड़े…

मंगल

मंगल ग्रह का प्रभाव मंगल यह मेष एवं व्रशचक राशि का स्वामी है। साधारण स्वभाविक कुंडली में यह पहले तथा आठवे भाव का स्वामी है। राशि चक्र पूरा करने के लिए यह लगभग 17 माह लगाता है। हर दो वर्ष पश्चात यह लगभग 2 माह वक्रीय रहता है। सूर्य के चारो ओर यह दो वर्ष…