ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल
मंगल
पहला भाव:- यदि मंगल पहले भाव में हो तो भाइयो में बड़ा हो अन्य भाई बहनों हो, बहन धनी, राज दरबार, सरकारी नोकरी में ऊँचा दर्जा, डॉक्टर यदि नहीं तो मेडिकल एवं स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी। विक्त स्वभाव, पुलिस, सेना अधिकारी, जल्दी जल्दी काम करे, उतावला, महत्वाकांशी, दुर्घटना भय, मुख, विशेषतः सिर पर चोट जले का निशान, मंगलीक योग। यदि दूसरे, बाहरवें चन्द्र, सूर्य तो माता पिता को 28 वर्ष तक खतरा खर्चीला।शरीर कृश हो, वर्णविकार लोह घात, उदर विकृति, मातृ क्लेश, बाल्यावस्था में कष्ट, स्त्री क्लेश, व्यवसाय में हानि इत्यादि करता है।
दूसरा भाव:- यदि मंगल दूसरे भाव में हो तो धनी, मातृ भाग्य उत्तम, माता पिता सम्पति सुख। बहन नहीं भाई हो पैदाइश चौबारा, हस्पताल आदि में। सुखी, अच्छे मित्र मिले। माता से आशीर्वाद लेना सदा शुभ रहे।कटुक , नेत्र में या कान में विकार, कुटुंब क्लेश चोरी का भय, धर्म में प्रेम हो कुटुम्ब में कलह तथा चोर द्वारा धन की क्षति।
तीसरा भाव:- यदि मंगल तीसरे भाव में हो तो यात्रा करने वाला,इंटरव्यू, यात्रा से लाभ, टूरिंग नोकरी,बुद्धिमान, चतुर, औरत पूरा साथ दे। कई बहन, साहसी, रोजगार में परिवर्तन। दो विवाह योग। मंगल के होने से भ्रातृ क्लेश, मातृ क्लेश , साहस बल यात्रा, रूखापन, कटुवचन आदि की वृद्धि, यश और प्रताप की भी वृद्धि होती है।
चौथा भाव:- बहन सुख, धनी, माता भाग्य उत्तम, बुजुर्गो के कामो से लाभ। पैतृक सम्पति, माता को तारे। दुर्घटना का डर , संतान भाव को भी बिगड़ता है।
पाचवा भाव:- यदि मंगल पाचवे भाव में हो तो जज, वकील, पहली संतान लड़की, लडकिया अधिक लड़के कम सरकार अथवा राज दरबार में मान आदर। डरपोक, विद्या अच्छी। उत्तम बुद्धि परन्तु संवेदनशील। उदर विकार, चंचलता, बुद्धि की तीक्ष्णता, सन्तति क्लेश, गुप्त स्थान में रोग का भय, अधिक व्यय शत्रुबाधा, चतुष्पद की क्षति इत्यादि करता है तथा आहार को भी बढ़ाता है।
छठा भाव:- अगर मंगल छठे भाव में हो तो स्वास्थ्य श्रीण, रात को दूध पीने से स्वास्थ्य बिगाड़ , पेट के रोग, यात्रा अधिक बुद्धिमान मानसिक तनाव। रक्त विकार, मातुल क्लेश धर्मोंन्ति, प्रताप की वृद्धि, अधिक लाभ तथा अधिक व्यय स्त्री को गर्भ की बाधा इत्यादि फल होता है।
सातवाँ भाव:-यदि मंगल सातवे भाव में हो तो धनी, विदेश यात्रा लाभ, कवि व् इल्म ज्योतिष जानने वाला, सुन्दर, सुखी, माता व् पत्नी में बिगाड़। गाने बजाने के साधन कायम। स्त्री क्लेश, व्रणविकार, बड़े भयानक कार्य करना, संग्राम में रहना ईर्ष्यालु तथा क्रोधी स्वभाव को करता है।
आठवा भाव:- यदि मंगल आठवे भाव में हो तो बुद्धिमान स्त्री, धन मिले, बुजुर्गो का धन मिले। जीवन बीमा लाभ, स्वास्थ्य श्रीण, घर में जल स्त्रोत ख़राब अथवा भरा गया बुरा प्रभाव दे।संकुचित स्वभाव , रक्त विकार, गुप्त रोग, भ्रातृ क्लेश, लाभ की चिन्ता धन की चिंता शत्रु भय इत्यादि करता है।
नवा भाव:- यदि मंगल नवे भाव में हो तो अक्लमंद, बुद्धिमान, सुखी, जन्म समय यद्यपि गरीबी परन्तु धनी होता जाए। भरी गृहस्थी, सम्मानित, विदेश यात्रा, डॉक्टर, जीवन बढ़िया, अधिकारी, भाग्यशाली, किस्मत का धनी।भाग्योदय, यशोमान प्रतिष्ठा की वृद्धि, पिता से असन्तोष इत्यादि करता है।
दसवा भाव:- यदि मंगल दसवे भाव में हो तो डॉक्टर, धनी, दानी, सुखी, दुधारू पशु न रहे, छाती के रोग, चोर, डाकू का सम्बन्ध बुरा। नजर कमजोर। नोकरी में अधिक तबादले। पितृ क्लेश, सन्तति क्लेश, शरीर कृश, राजकीय सम्बन्ध, स्वतन्त्र व्यवसाय, शत्रु पर विजय इत्यादि करता है।
ग्यारहवा भाव:- यदि मंगल ग्याहरवें भाव में हो तो धनी, दीर्घायु, अच्छे मित्र, साहसी, दानी, सब इच्छाए पूर्ण हो, बड़ो से लाभ ले व् दे लड़के के लड़का होने में विलम्ब। दुर्घटना का डर। दादी पोते को तरसे। उन्नति, साहस, धीरता, वीरता, अधिक व्यय, सन्तति क्लेश, स्त्री क्लेश, यात्रा, चंचल न्याय का जानने वाला इत्यादि करता है।
बारहवा भाव:- मनमाने काम करे एवं हानि उठाए, ईर्ष्यालु, नजर की कमजोरी, विदेश में किस्मत चमके, पढ़ाई कम, समय बीत जाने पर पछताए, चमड़ी विशेषतः सिर से खारिश। रात की नींद उचाट हो। ससुराल की सम्पति के लिए बुरा, आलसी एवं दुखी। घर से बाहर रहना पड़े। अधिक व्ययी, कर्ण रोगी, नेत्र रोगी, विवश कृश, उत्साहहीन, पापकर्ता, नीच प्रकृति का होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए