ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल
राहु
पहला भाव:- यदि राहु पहले भाव में हो तो शक्की, सरकारी सम्बन्ध बुरा, नोकरी में उतार चढ़ाव। बुरे स्वपन आए। सिर के रोग, अपनी ही सोच से खराबी करे। मानसिक विकार, दौलतमंद। जन्म के समय नाना, नानी जीवित। जन्म के समय आंधी आए, वारिश अथवा बदल हो। सामने पड़ोसियों का उजड़ा मकान। स्वार्थी, अनैतिक एवं कमो में विघ्न। अल्प सन्तति युक्त्त होता है।
दूसरा भाव:- यदि राहु दूसरे भाव में हो तो अधिकारी, प्रबन्धक, सम्पन्न, धनी परन्तु कंजूस, विदेश में यात्रा। धन की आवाजाही स्वास्थ्य विभाग। कष्ट पाने वाला और भाइयो को भी कष्ट देने वाला। संग्रही, अल्प धनवान होता है।
तीसरा भाव:- यदि राहु तीसरे भाव में हो तो शत्रु नष्ट, भाई बहन दुखी करे, दुर्घटना, धन दौलत का मालिक, प्रेम सम्बन्ध, आयु का मालिक। यात्रा आम हो। दिमागी पूरा हो। बलवान, बुद्धिमान और व्यवसायी होता है।
चौथा भाव:- यदि राहु चौथे भाव में हो तो सम्पति से लाभ काम, बुद्धिमान, उच्च शिक्षा में कुछ गड़बड़, माता दुखी। असंतुष्ट, घर का सुख काम। उदर व्याधिमान, कपटी, मिथ्याचारी, अल्पभाषी होता है।
पाचवा भाव:- यदि राहु पाचवे भाव में हो तो औलाद विलम्ब से, पहली लड़की। बड़ा भाई सम्पन, अच्छी हालत। भाग्यशाली, गर्भपात हो। लड़का होने के उपरान्त बाबा का बुरा हाल। पेट में कष्ट, हस्पताल यात्रा। कार्यकर्त्ता और शास्त्रप्रिय होता है।
छठा भाव:- यदि राहु छठे भाव में हो तो दिमागी ताकत बढ़िया, चमड़ी एवं मस्तिष्क के रोग, पाचन शक्ति विकार। शत्रुओ पर विजय। मस्तिष्क की कमाई खाए। पराक्रमी, बाल्यकाल में दुखी, शत्रुबाधा युक्त्त, दुर्लभ दन्त वाला होता है।
सातवाँ भाव:- यदि राहु सातवे भाव में हो तो विवाहपरांत पत्नी से जुदाई, धन को कमी। स्त्रियों की कुण्डली में हो तो तलाक। कई विवाह योग। व्यापार में घाटा, पत्नी के माँ बाप के लिए भी बुरा। दुष्कर्मी, चतुर, चंचल, दुराचारी मनुष्य होता है।
आठवा भाव:- यदि राहु आठवे भाव में हो तो अचानक दुर्घटना, जहमत एवं बीमारी। दिमाग में गलत विचार आए तथा नुकसान हो। बातूनी, गुप्त अंगो के रोग। लम्बे समय की बीमारी। चमड़ी पर स्याह सफेद दाग। उदर व्याधिमान, कामी, शत्रु युक्त्त होता है।
नवा भाव:- यदि राहु नवे भाव में होता है तो धर्म कर्म से दूर, लम्बी यात्राएं, सन्तान के विघ्न, सन्तान असुख। डॉक्टर। धर्मात्मा, दुष्टबुद्धि, बुद्धिमान, और भाग्यवान होता है।
दसवाँ भाव:- यदि राहु दसवें भाव में हो तो किस्मत के उतार चढ़ाव, अचानक उन्नति एवं अचानक अवनति। गलत सोच विचार हो, उदार भला पुरुष, पिता के लिए उत्तम परन्तु माता के लिए बुरा ही हो, स्वास्थ्य एवं सम्पति हल्की। सन्तान की और से परेशान धन की आवाजाही।मितव्ययी, शत्रु युक्त्त, रोगी होता है।
ग्यारहवाँ भाव:- यदि राहु ग्याहरवें भाव में हो तो पिता के लिए बुरा, कामो में रुकावट, विघ्न। बड़े परिश्रम से काम हो। धन दौलत के लिए बुरा। कर्ज चढे। बुरी सोच विचार।अपनों से बड़ो के साथ अथवा अधिकारी के साथ बिगाड। पहली लड़की योग।सन्तति युक्त्त मनुष्य होता है।
बारहवा भाव:- यदि राहु बाहरवें भाव में हो तो जन्म के समय पिता को बड़ा खर्चा पडे। जीवन में घरेलू कार्यो के लिए काफी खर्च करना पड़े। ख्याली पुलाव बनाए।सोचे कुछ लेकिन परमात्मा को कुछ और ही मंजूर हो बुरे काम, बुरे परिणाम हो।नेत्र रोगी। चिन्ताशील मनुष्य होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए