रुद्राक्ष के लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
– जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
एक मुखी रुद्राक्ष
एक मुखी रुदाक्ष में एक प्राकृतिक धारी होती है। इसे साक्षात भगवान् शिव का ही रूप माना जाता है, इसमें स्वयं भगवान् शिव ही विराजते है। एक मुखी के विषय में कहा गया है कि इसके दर्शन मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है। तो पूजन से या धारण से क्या नहीं हो सकता होगा। यह ब्रह्रा हत्या जैसे महापाप को नष्ट करता है। जिस घर में यह होता है उस घर में लक्ष्मी विशेष रूप से विराजती है।यह धारणकर्ता को सभी प्रकार के नुकसान तथा भय से दूर रखता है , जिसके साथ स्वयं भगवान शिव रहते हो उसे भला क्या प्राप्त नहीं हो सकता है।एक मुखी रुद्राक्ष सर्वोत्तम, सर्वमनोकामना सिद्धि, फलदायक और मोक्षदाता है। इसे सभी रुद्राक्षो में सर्वश्रेठ माना गया है। इसे धारण करने से सभी प्रकार के अनिष्ट दूर हो जाते है। चाहे वह परिस्थितिवश हो अथवा दुश्मन जनित। एक मुखी रुद्राक्ष को पूजने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।जिसके गले में या पूजन में एक मुखी रुद्राक्ष है उस व्यक्ति के शत्रु खुद ही प्ररास्त हो जाते है। एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अवश्य ही पूण्य उदय होता हैं। एक मुखी रुद्राक्ष मानसिक शांति देकर मानव के समस्त पाप तथा संकट हर लेता है। इसमें यह प्रमाणित है।
एक मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होता है यह अन्य रुद्राक्षो के मुकाबले बहुत ही कम तादाद में होता है। एक मुखी रुद्राक्ष के दोनों ओर सोने की टोपी मढ़वाकर धारण करना उत्तम है। यही पूजन के लिए अति उत्तम है। इसे आप अपने पूजन स्थान पर चाँदी की तस्तरी या सिंहासन पर रखकर प्रतिदिन पूजा कर सकते है। हरिद्वार का एक मुखी रुद्राक्ष अन्य एक मुखी रुद्राक्ष बेहतर फल देने वाला होता है।
एक मुखी रुद्राक्ष गल्ले में रखने से गल्ला कभी धन से खाली नहीं होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |