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रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
– जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
चार मुखी रुद्राक्ष
चार मुखी रुद्राक्ष में चार धारिया होती है चार मुखी रुद्राक्ष चतुमूर्ख ब्रह्रा का स्वरूप माना गया है। चार वेदों का रूप माना गया है। यह मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुवर्ग देने वाला है।यह चारो वर्ण ब्राह्राण, क्षत्रिय, वैश्य, व् शुद्र तथा चारो आश्रम ब्रह्राचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा सन्यास के द्वारा पूजित और परम् वन्दनीय है।इसका धारक धनाड्य, आरोग्यवान, ज्ञानवान बन जाता है चार मुखी रुद्राक्ष वृद्धिदाता है। जिस बालक की बुद्धि पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में अटकता हो उसके लिए भी यह उत्तम है।चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक रोग में शान्ति मिलती है। तथा धारण का स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसे धारण करने से नर हत्या का पाप दूर होता है। अग्नि पुराण में इसके बारे में लिखा है। की इसको धारण करने से व्याभिचारी भी ब्रह्राचारी तथा नास्तिक भी आस्तिक हो जाता है
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |