छः मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
– जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
छः मुखी रुद्राक्ष
छः मुखी रुद्राक्ष पर छः धारिया होती है। छः मुखी रुद्राक्ष शिवजी के पुत्र कुमार कार्तिकेय की शक्ति का केन्द्र बिंदु है। यह विद्या , ज्ञान, बुद्धि का प्रदाता है। छः मुखी रुद्राक्ष पढ़ने वाले छात्रों, बौद्धिक कार्य करने वालो को बल प्रदान करता है। यह विद्या अध्ययन में अदभुत शक्ति देता है। छः मुखी रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि यह छह प्रकार की बुराइयों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर को नष्ट करता है। इसके धारण करने से मनुष्य की खोई हुई शक्तिया जाग्रत होती है।स्मरण शक्ति प्रबल होती है और बुद्धि का विकास अति तेज गति से होता है।यह धारक को आत्म शक्ति, संकल्प शक्ति, ज्ञान शक्ति, अध्यन शक्ति, रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने से चर्म रोग, ह्रदय की दुर्बलता तथा नेत्र रोग दूर होते है। यह दरिद्रता का नाश करता है। छः मुखी धारण करने वाला व्यक्ति शिक्षा, काव्य, व्याकरण, छंद, ज्योतिषचार्य, चारो वेद, रामायण तथा महाभारत आदि ग्रन्थों का विद्वान हो सकता है। इसे पहनने से सुख सुविधा की अवश्य प्राप्ति होती है।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |