सात मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
– जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
सात मुखी रुद्राक्ष
सात मुखी रुद्राक्ष के ऊपर सात धारिया होती है।सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का स्वरूप है।ऋषिजन हमेशा संसार के कल्याण में कार्यरत रहते है।अतः सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सप्त ऋषियों का सदा आशीर्वाद रहता है जिससे मनुष्य का सदा कल्याण होता है। इसके साथ ही यह सात माताओ ब्राह्राणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, इन्द्राणी, चामुण्डा, का मिश्रित स्वरूप भी है। इन माताओ के प्रभाव से यह पूर्ण ओज, तेज, ज्ञान, बल,और सुरक्षा प्रदान करके आर्थिक शारीरिक तथा मानसिक विपतियों को दूर करता है। यह उन सात आवरणों का भी दोष मिटाता है जिससे मानव शरीर निर्मित होता है यथा पृथ्वी, जल, वायु, आकाश अग्नि, महत्व और अहंकार। सात मुखी रुद्राक्ष धन सम्पति, कीर्ति और विजय श्री प्रदान करने वाला होता है इसको धारण करने से धनागम बना रहता है साथ व्यापार नोकरी में उन्नति होती है। यह रुद्राक्ष सात शक्ति शाली नागों का भी प्रिय है। सात मुखी रुद्राक्ष साक्षात अनग स्वरूप है। इसे काम देव के नाम से भी जाना जाता है। इसलिये इसको धारण करने से मनुष्य स्त्रियों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है तथा पूर्ण स्त्री सुख मिलता है। इसको धारण करने से स्वर्ण चोरी के पाप से मुक्ति मिलती है।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |