आठ मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
– जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
आठ मुखी रुद्राक्ष
आठ मुखी रुद्राक्ष या अष्टमुखी रुद्राक्ष पर आठ धारिया होती है। अष्टमुखी रुद्राक्ष गणेश भगवान स्वरूप है। भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य है। अष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टमूर्ति(पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, सूर्य, चन्द्र, और यजमान) रूप साक्षात शिव शरीर मानो जाता है। मानव- भगवान की बनायी आठ प्रकृति( भूमि, आकाश, जल, अग्नि, वायु, मन, बुद्धि, अहंकार) के आधीन रहता है। अष्टमुखी रुद्राक्ष धारण करने से आठो प्रवृतिया सहयोग प्रदान करती है, जिससे आठो दिशाओं में विजय प्राप्त होती है। जिस प्रकार सात मुखी रुद्राक्ष पहनने वालो की रक्षा सात माताये करती है उसी प्रकार अष्टमुखी धारण करने वाले की रक्षा आठ देवियां करती है। इसको धारण करने से गणेश भगवान की कृपा बनी रहती है। इसको धारण करके कोर्ट कचहरी के मामलो में असफलता का मुह नहीं देखना पड़ता तथा दैविक, दैहिक तथा भौतिक कष्टो का अन्त होता है। यह मनुष्य को अंतमुर्खी बनाकर उसके जीवन की समस्त उथल पुथल समाप्त कर नीचे से ऊपर उठने का मार्ग प्रशस्त करता है।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |