रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
-जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष में ग्यारह धारिया होती है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भी रूद्र स्वरूप है, यह भगवान शंकर के भक्तों के लिये बहुत ही प्रभावशाली तथा अमोघ वस्तु है। शिवजी के ग्यारहवें रूद्र महावीर बजरँगबली है। जिनके नाम से ही भुत प्रेत भागते है। वह विद्यवान ,गुणवान तथा चतुरता प्रदान करने वाले देवता है।ग्यारह मुखी रुद्राक्ष बल बुद्धि तथा शरीर को बलिष्ठ व् निरोगी बनाता है। भगवान इन्द्र भी इसके देवता माने जाते हैं।यदि किसी मनुष्य की कुछ दान करने की अभिलाषा हो तथा वह दान न कर पाया हो तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करे, इससे दान की पूर्ति हो जाती है, इसके विषय में कहा गया है कि इसे धारण करने से सहस्त्र अश्वमेघ यज्ञ तथा एक लाख गाय दान करने के बराबर पूण्य फल प्राप्त होता है, जिनके जीवन में सदा संघर्ष बना रहता हो अधैर्य के कारण गलत निर्णय ले लेते हो।दी। दिमाग में हमेशा परेशानी बनी रहती हो, जिसके कारण अपने को दुखी तथा अपमानित महसूस करते हो या जिन्हें अक्सर किन्ही कारणों से अपमान झेलना पड़ता हो उन्हें ग्याहर मुखी रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए। इसको धारण करने से सांसारिक ऐश्वर्य तथा उसके भोगने का सुख प्राप्त होता है। इसको धारण करने से एकादशी व्रत का पुण्य सदा ही प्राप्त होता है तथा मनुष्य हमेशा विजय रहता है। स्त्रियों के लिए यह रुद्राक्ष सबसे अधिक महत्वपूर्ण है पति की सुरक्षा उसकी दीर्घायु एवं उन्नति तथा सौभाग्य प्राप्ति में यह रुद्राक्ष अत्यन्त शुभ है। इसकी महिमा यह बतायी गयी है कि श्रद्धा तथा विश्वासपूर्वक इसे धारण करने से बन्ध्या स्त्री भी पुत्र प्राप्त कर सकती है वेदान्त निष्ठ को यही रुद्राक्ष धारण करना चाहिये
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए