रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
-जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष पर चौदह धारिया होती है। चौदह मुखी रुद्राक्ष रूद्र के नेत्र से प्रकट हुआ रुद्राक्ष माना जाता है। यह अत्यन्त दुर्लभ रुद्राक्षो की श्रेणी में आता है परम प्रभावशाली तथा अल्प समय में ही शिवजी को प्रसन्न करने वाला यह चौदह मुखी रुद्राक्ष साक्षात देवमणि है।पुराणों में इसके बारे में कहा गया है कि यह चौदह विद्या, चौदह मनु, चौदह लोक, चौदह इन्द्र का साक्षात देव स्वरूप है। चौदह मुखी को वृक्ष से उत्पन सर्वदेवमय, विशिष्ठ एवं दुर्लभ रुद्राक्ष माना जाता है चतुवर्गो का फल चाहने वालों को चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिये। यह रुद्राक्ष भगवान शिव, तीनो लोको के स्वामी देवो के देव महादेव का ही स्वरूप एवं उनके रुद्राक्षो में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है यह दुर्लभ होने के साथ साथ बहुत ही महत्वपूर्ण है चौदह मुखी रुद्राक्ष में हनुमान जी की भी सम्पूर्ण शक्ति निहित रहती है। इसके प्रभाव के साधक सभी प्रकार के संकटो से मुक्त रहता है। हानि दुर्घटना, रोग, चिन्ता से मुक्त रखकर साधक को सुरक्षा समृद्धि देना इसका विशेष गुण है। चौदह मुखी रुद्राक्ष का महत्व इसलिये भी अधिक है क्योंकि भगवान शिव स्वयं चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण किया करते थे इसलिये चौदह मुखी ही एक मात्र ऐसा रुद्राक्ष है जिसका एक दाना धारण करने से है मनुष्य खुद साक्षात शिव स्वरूप हो जाता है पौराणिक ग्रन्थों की मान्यता के अनुसार एक चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य देवताओ से पूजित होकर सीधे स्वर्ग जाता है तथा जन्मो के संस्कार से अलग होकर पूर्णता की प्राप्ति करता चौदह मुखी रुद्राक्ष की शक्तिया अपार है
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए