श्री गौरी शंकर रुद्राक्ष
रुद्राक्ष से होने वाले लाभ
– रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
-जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
– रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है
– रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
– रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है
– रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।
– रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है।
– रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
— रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है
– रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है
श्री गौरी शंकर रुद्राक्ष
प्राकृतिक रूप से परस्पर जुड़े दो रुद्राक्षो को गौरी शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है गोरी शंकर रुद्राक्ष को भगवान शिव तथा माता गोरी का रूप माना जाता है इसलिये इसका नाम गौरीशंकर रुद्राक्ष पड़ा है यह रुद्राक्ष एक मुखी तथा चौदह मुखी की तरह बहुत ही दुर्लभ तथा विशिष्ट रुद्राक्ष होता है इसमें भगवान शंकर का वरदान तथा माँ पार्वती की दिव्य शक्तिया निहित होती है इसको धारण करने से भगवान् शंकर तथा माता पार्वती दोनों ही समान रूप से प्रसन्न होते है तथा नाना प्रकार के वरदान तथा शक्तिया धारणकर्ता को प्राप्त होते है माता पार्वती सदैव ही भगवान शंकर को वरदान देने को प्रेरित करती रहती है यह रुद्राक्ष मानव को हर प्रकार के रुद्राक्ष से होने वाले लाभ को अकेले ही दिलवाता है जो व्यक्ति एक मुखी या चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहते हो तथा पहन नहीं सकते हो उन्हें गोरिशंकर अवश्य ही धारण करना चाहिये क्योंकि एक मुखी तथा चौदह मुखी के समान ही यह रुद्राक्ष भी हर प्रकार की सिद्धियो का दाता है यह अपने आप में विशिष्ट रुद्राक्ष है गौरीशंकर रुद्राक्ष को पूजन स्थान के साथ साथ तिजोरी, गल्ले में भी स्थापित करते है धारण करने के लिये इसे सोने या चांदी में मढ़वा लेना श्रेष्ठ है गौरीशंकर को पहनने से या पूजन करने से कार्य आशा से भी अधिक संतोषजनक होता है
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए