यंत्र का महत्व मान कर उससे लाभ प्राप्त करने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है प्रत्येक अविष्कार के मूल में उसकी आवश्यकता छिपी होती है। हम देखते है सदियों से दीपावली के दिन दुकान के दरवाजे पर यंत्र लिखवाने की प्रथा चली आ रही है। इस तरह से यंत्र साधना एक लंबे युग से चली आ रही है। तथा श्रद्धावान लोग इससे विशेष लाभ उठाते है। यंत्रो पर विश्वास करके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है। साथ ही श्रद्धा फलती है। जिनको यंत्रो पर विश्वास होता है उन्हें इनका फल भी मिलता हैं। यंत्रो में मंत्रो की भी शक्ति निहित रहती है तथा हर मनुष्य वेदपाठी नहीं होता है। जिससे मंत्रो का सही उच्चारण कर सके। गलत मन्त्र का स्तेमाल सही नहीं है इसलिये यंत्रो की उत्पति हुई यंत्रो पर भी रेखांकित भाषा में मंत्र ही लिखे होते है। इसीलिये यंत्रो को पूजा में रखने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। यंत्र सोने, चांदी, तांबा, अष्टधातु, तथा स्फटिक मणि पर अंकित अति शुभ होते है।यंत्र पूजने से सभी मनोरथ सफल होते है
अलग अलग उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये अलग अलग यंत्रो के पूजन का महात्म् महाऋषियों ने सुझाया है।
श्री यंत्र- श्री यश तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिये।
श्री महालक्ष्मी यंत्र- दर्शन मात्र से धन धान्य रिद्धि सिद्धि प्राप्ती।
श्री दुर्गा यंत्र- विशेष सकंट निवारण हेतु।
श्री बीस यंत्र- भुत प्रेत बाधा हटाने के लिये सभी प्रकार के कल्याण हेतु।
श्री मंगल यंत्र- शादी विवाह तथा शुभ कार्य में आये विघ्न हटाने के लिये, पुत्र प्राप्ति के लिये
श्री बगलामुखी यंत्र- मुकदमा, कार्य सिद्धि और शत्रु पर विजय पाने के लिये।
श्री कुबेर यंत्र- धनपति बनने के लिये।
श्री गणेश यंत्र- रिद्धि सिद्धि के लिये ।
श्री सरस्वती यंत्र- बुद्धि विद्या प्राप्ति के लिये।
नव ग्रह की शांति हेतु नवग्रह यंत्र व् नवग्रह के नो अलग अलग यंत्र जैसे -शनि, राहु, केतु, मंगल, बुध, सूर्य, शुक्र, बृहस्पति, चन्द्र इस प्रकार अन्य कई तरह के यंत्र पूजा में रखे जाते है।
सब यंत्रो में विशेष रूप से श्री यंत्र सबसे अधिक प्रचलित है।क्यों की इसमें श्री विद्या की शक्ति होती है। तथा लक्ष्मी माता का वरदान होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए