गजकेशरी योग:-
” गजकेसरी संजातस्तेजस्वी धनधान्यवान।
मेधावी गुण सम्पन्नों राजप्रिय करो भवते।।
चन्दमा से केन्द्र में (1,4,7, 10 वे भाव में) बृहस्पति स्थित हो तो गजकेशरी
योग होता है।
यदि शुक्र या बुध नीचराशि में स्थित न होकर या अस्त न होकर चन्द्रमा को सम्पूर्ण दृष्टि से देखते हो तो प्रबल गजकेशरी योग होता है।
फल:- इस योग में जन्म लेने वाला जातक अनेक मित्रो, प्रशंसकों एवं सम्बन्धियो से घिरा रहता है एवं उनके द्वारा सराहा भी जाता है। ऐसा जातक स्वभाव से विनम्र , विवेकवान , तेजस्वी, मेधावी, गुणज्ञ तथा सद्गुणी होता है इस प्रकार का योग रखने वाला जातक जीवन में उन्नति करता है। कृषि कार्यो से उसे विशेष लाभ होता है अथवा वह नगरपालिकाध्यक्ष या मेयर बन जाता है वह जीवन में उच्च स्थिति प्राप्त कर पूर्ण सुख भोगता है तथा मृत्यु के बाद भी उसकी यश गाथा अक्षुण्ण रहती है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए