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यदि कुण्डली में चन्द्रमा के दोनों ओर कोई भी ग्रह न हो, तो केमद्रुम योग बनता है।
फल:- केमद्रुम योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति गन्दा तथा दुखी रहता है। वह अपने गलत कार्यो के कारण ही जीवन भर परेशान रहता है। आर्थिक दृष्टि से वह गरीब होता है तथा आजीविका के लिए दर-दर भटकता फिरता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा दूसरों पर ही निर्भर रहता है।
पारिवारिक दृष्टि से भी ऐसा जातक साधारण होता है एवं सन्तान द्वारा कष्ट पाता है। उसे स्त्री भी चिड़चिड़े स्वभाव की मिलती है, लेकिन ऐसे व्यक्ति दीर्घायु होते हैं।
नोट- कुछ विद्धानों का मत है कि यदि चन्द्रमा केन्द्र स्थान में हो और केमद्रुम योग बनता हो, अर्थात केन्द्रस्थ चन्द्र के दोनों और कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम योग नहीं माना जा सकता ।
कुछ ऋषि ऐसा भी मानते है कि यदि चन्द्रमा किसी ग्रह के साथ बैठा हो और केमद्रुम योग होता हो तो इस योग का प्रभाव नहीं होता।
यदि जातक ने धनाढ्य कुल में जन्म लिया हो तो जातक शनै:-शनै: मूर्खतापूर्ण कार्यो अथवा गलत गलत निर्णयों के फलस्वरूप धन से हाथ धो बैठता है और साधारण स्थिति में आ जाता है।
यदि जातक ने साधारण कुल में जन्म लिया हो और उपयुक्त स्थितियां बनती हो तो जातक भाग्यहीन बनकर भी धीरे-धीरे दरिद्र जीवन बिताने को मजबूर हो जाता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए