इन्द्र योगः-
यदि चन्द्रमा से तीसरे स्थान पर मंगल हो, मंगल से सप्तम भाव में शनि हो, शनि से सातवें भाव में शुक्र हो और शुक्र से सातवें भाव में गुरु हो तो इन्द्र योग होता है
फल:- इन्द्र योग रखने वाला व्यक्ति प्रसिद्ध वीर और रणनीतिज्ञ होता है तथा युद्ध में प्रसिद्धि प्राप्त कर ख्याति लाभ करता है। वह स्वयं राजा होता है अथवा राजा के तुल्य जीवन बिताता है। बातचीत में चतुर , गुणी एवं सरल स्वभाव का ऐसा जातक 38 वर्ष तक जीवित रहता है।
नोटः- यह योग भी राज योग की ही भांति है। इस योग में जन्म लेने वाले जातक की आयु अधिक नहीं होती , परन्तु वह अल्पायु में ही प्रसिद्धि प्राप्त कर अपना नाम चतुर्दिक फेला देता है। इसे जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता ।
कुछ विद्वानों ने इन्द्र योग की परिभाषा दूसरे प्रकार से भी दी है । उनके अनुसार चन्द्रमा लग्न से पाँचवे स्थान पर हो तथा पांचवे भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादश भाव का स्वामी पांचवे भाव में हो, तो इन्द्र योग बन जाता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए