भास्कर योगः
यदि सूर्य से दूसरे भाव में बुध हो बुध से ग्याहरवें भाव में चन्द्रमा हो तथा चन्द्रमा से 5 वे या 9 वे भाव में बृहस्पति हो, तो भास्कर योग बनता है।
फल:- भास्कर योग में जन्म लेने वाला जातक अत्यन्त धनी होता है तथा निरन्तर अर्थ संचय में प्रवृत्त रहता है। अनेक शास्त्रों को जानने वाला तथा कई विद्याओं में प्रखर होता है ऐसा जातक शारीरिक रूप से बलशाली तथा शत्रुहन्ता होता है।
ऐसा जातक संगीतादि कलाओं में रूचि रखने वाला होता है या तो वह स्वयं कवि होता है अथवा कवियों , संगीतज्ञों एवं चित्रकारों की भरपूर सहायता करने वाला होता है। उसका व्यक्तित्व चुम्बकीय होता है तथा जीवन में मित्रो की संख्या निरन्तर बढ़ती रहती है।
नोटः- इस योग में ग्रह बुध, सूर्य, चन्द्र,-चाहे नीचांश में हो या पापराशिस्थ हो फल में कोई अन्तर नहीं आता।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए