दशाफल
शुभ सूर्यमहादशाफल
जन्म काल में अपने मूलत्रिकोण, स्वभवन, स्वोचराशी या परम उच्च स्थान, केन्द्र, त्रिकोण, लाभस्थान , इनमे से भाग्येश तथा कर्मेश के साथ रहे, स्वयं सूर्य प्रबल हो अपने वर्ग में भी बलिष्ठ हो तो अपने दशाफल में वे धनलाभ आदि परमसौख्य, राजसम्मान आदि को देने वाले होते है। पंचमेश से सम्बन्ध रखने पर पुत्रद भी होते है। धनेश के साथ सम्बन्ध रहने से धन ऐश्वर्य प्राप्त होता है वाहनेश के साथ सम्बन्ध से वाहन प्राप्त होता है राजा की संतुष्टि से वह मनुष्य धनी, सेनापति, सुखी, वस्त्र वाहन सम्पन होता है।
सूर्यदशाफल अशुभ:-
नीचराशी, त्रिक में स्थित सूर्य पापयुक्त हो, राहुकेतु के साथ हो या दु:स्थान (6,8,12) के अधिप से युक्त हो तो अपने दशाफल में वे महाकष्ट, राजकोप, परदेश निवास, राजडंड, धनशय, ज्वरपीड़ा, बन्धु मित्रविरोध, पितृशयभय, तथा अन्यविध अशुभ के दायक होते है। उस समय पितृवर्ग में मानसिक सन्ताप, तथा अकारण जनद्वेष होता है।किन्तु नीचादिस्थ सूर्य पर शुभ ग्रहो की दृष्टि या संयोग रहे तो कभी कभी बीच में सुख प्राप्ति भी होती है।पापग्रह मात्र की दृष्टि से सर्वथा अशुभ फल प्राप्त होता है
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए