हंस योगः–
बृहस्पति अपनी राशि का होकर या मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो, तो हंस योग होता है।
फल:- हंस योग रखने वाला जातक अति सुन्दर व्यक्तित्व वाला पुरुष होता है। रक्तिम चेहरा, ऊंची नासिका, सुन्दर चरण , हंसमुख, गोरांग, उन्नत ललाट और विशाल वक्षस्थल वाला ऐसा व्यक्ति मधुरभाषी होता है। उसके मित्रो एवं प्रशंसकों की संख्या बढ़ती ही रहती है तथा वह सभी के साथ श्रेष्ठ व्यवहार करने का इछुक होता है। ऐसा व्यक्ति निष्पक्ष न्याय करता है तथा सफल वकील या जज बनता है।
नोटः-श्री वीर विक्रमादित्य की कुण्डली में गुरु कर्क का यानी उच्चराशि का होकर केन्द्र में ही स्थित है, फलस्वरूप यहां हंस योग बना है। हंस योग भी पंच महापुरुष योगों में से एक है, परन्तु इस योग की दो प्रमुख विशेषताए है। पहली यह की हंस योग रखने वाला व्यक्ति बात का धनी होने के साथ साथ निष्पक्ष निर्णय देने की पूर्ण क्षमता रखता है। वह किसी भी प्रलोभन या दबाव में आकर अपने पथ से विचलित नहीं होता दूसरा यह की ऐसा योग रखने वाला व्यक्ति चुम्बकीय व्यक्तित्व वाला होता है जिसके कारण उसके परिचितों की संख्या बढ़ती ही रहती है।
हंस योग वाले व्यक्ति दीर्घायु भी होते है और साठ से सो के बीच की आयु भोगते है। उनकी वृद्धावस्था सुखद रहती है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए