शुभ चन्द्रदशाफल :-
प्रबल पूर्णचन्द्र शुभग्रहयुक्त यदि अपने उच्च, स्वभवन, केन्द्र, त्रिकोण व लाभस्थ हो, बलि कर्मेश, भाग्येश या सुखेश के साथ भी हो तो अत्यधिक ऐश्वर्य, धनधान्यादिसमृद्धि आदि अनेक लाभ होते है। ऐसे जातक के घर में अनेक शुभकार्य, वाहन सौख्य, राजदर्शन, यत्रंत: किसी भी कार्य की सिद्धि तथा घर में सारी समृद्धियॉ, मित्र तथा राजा के द्वारा भाग्यवृद्धि राज्यलाभ, महासौख्य, पुत्र प्राप्ति, पशुधन की बहुलता, रथयानलाभ होता है। धनस्थानगत चन्द उच्च या स्वभवनगत हों तो भी अनेकविध धनलाभ, भाग्यवृद्धि, विशेष राजसम्मान, तथा विद्यालाभ होता है।
अशुभ चन्द्रदशाफल:-
चन्द्रमा नीचस्थ या क्षीण हो तो उनकी दशा में धनहानि होती है। तृतीय स्थानगत वे बलि हो तो कभी सौख्य , और कभी धनप्राप्ति होती है। पापग्रहयुक्त वे दुर्बल हो तो शारीरिक पीड़ा, मानसिक व्यथा, भृत्य से कष्ट, धनहानि मातृ पक्षीय व्यक्ति द्वारा मरणतुल्य कष्ट होता है। वही दुर्बल सपाप
चन्द्र त्रिकस्थ हो तो राजद्वेष, मानसिक कष्ट, धनधान्यदि का विनाश, मातृक्लेश, मनस्ताप, शरीर में जड़ता, मनोव्यथा आदि होते है। त्रिकस्थ चन्द्र बलयुक्त हो तो कभी लाभ कभी सुख, कभी देहपीड़ा होती है। शांति से सर्वत्र शुभ होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए