जब शुक्र अपनी ही राशि का होकर मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो, तो मालव्य योग होता है।
फल :- मालव्य योग वाले व्यक्ति का शारीरिक ढांचा व्यवस्थित आकर्षक एवं सुन्दर होता है ऐसा जातक पतले होठो वाला, सुदृढ़ एवं लाल वर्ण के शरीर वाला , पतली कमर वाला, चन्द्रमा के समान क्रान्ति वाला, लंबी नाक वाला, सुन्दर कपोल वाला, सुन्दर प्रकाशवान नेत्र तथा अत्यंत आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है।
ऐसे व्यक्ति का दिमाग मजबूत रहता है तथा वह कठिन से कठिन स्थितियों में भी विचलित नहीं होता।
इसे धन की ओर से कोई चिंता नहीं करनी पड़ती। धन स्वतः ही इसके पास खिंचता चला आता है। उत्तम वाहन सुख भी मिलता है तथा जीवन में सुख भी मिलता है तथा जीवन में सुखपूर्वक विविध भोगो का भोग करता है। शिक्षा, संस्कृति एवं सभ्यता की दृष्टि से ऐसा जातक उच्चकोटि का तथा ख्यातिप्राप्त होता है एवं देश विदेश में अपने कार्यो से पूजा जाता है।
नोटः- मालव्य योग वाला व्यक्ति कलाकार होता है। यदि केंद्र में अकेला शुक्र स्वराशि या उच्च का होकर स्थित हो, तो जातक काव्य व् संगीतादि क्षेत्र मे प्रसिद्धि प्राप्त कर नाम कमाता है। ऐसे जातक सफल कवि, चित्रकार, कलाकार या नृत्यकार होते हैं तथा जिस क्षेत्र में भी घुस जाते है उसमें ख्याति प्राप्त कर लेते है। सहदयता इनका मौलिक गुण होता है। यदि मालव्य योग के साथ सफल राज योग भी हो, तो व्यक्ति राजनीति में निस्संदेह उच्च पद प्राप्त करता है।
मालव्य योग होने से व्यक्ति कई स्त्रियों के सम्पर्क में भी आता है तथा उनसे लाभ भी उठाता है। शुक्र वाहन , सुख एवं भोग विलास का कारक है, फलस्वरूप ऐसा जातक शुक्र सम्बन्धी सभी वस्तुओं का पूर्ण सुख उठता है।
मालव्य और हंस – यदि ये दोनों योग कुंडली में हो तो जातक निस्संदेह राजनीति में पटु होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए