चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योगः-
पूर्ण चन्द्रमा शुभग्रहों या शुभ अंशो में हो, तो कुण्डली में चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योग बनता है।
चन्द्रमा वृष या कर्क राशि में हो अथवा मित्रो के ग्रह में, शुभ वर्ग में या शुभग्रहों से दृष्ट हो तो यह योग बनता है।
शुक्ल पक्ष की रात्रि में जन्म हो या कृष्ण पक्ष के दिन में जन्म हो, तो भी यह योग बनता है।
फल:- यदि कुण्डली में छठे या आठवे चन्द्रमा हो या चन्द्रमा द्वारा कुण्डली में अरिष्ठ होता हो, तो इस प्रकार का योग बनने पर चन्द्रमा से बना अरिष्ठ नाश हो जाता है।
नोटः- कुण्डली में जिन स्थितियों में पड़ा चन्द्र अरिष्ठ करता है वे इस प्रकार है-
= कुण्डली में छठे तथा आठवे भाव में बैठकर।
=सूर्य के साथ बैठकर (अस्त होकर)।
=सूर्य से सप्तम स्थान में बैठकर ।
=शत्रुक्षेत्री या शत्रुग्रह की राशि में होने पर।
=शत्रुग्रहों के साथ बैठने से।
=शत्रुग्रहों से दृष्ट होने पर।
उपयुक्त 6 स्थितियों में होने पर चन्द्रमा शुभफल नहीं देता। चूंकि चन्द्रमा सब ग्रहों से अधिक तेज चलने वाला है और पृथ्वी के निकट भी है, अतः चन्द्रमा का सर्वाधिक गहरा प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है ओर अशुभ चन्द्रमा जातक की भाग्योन्नति में रॉड अटकता रहता है
परन्तु ऊपर जो चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योग दिये गये है, कुण्डली में उनमे से कोई भी एक योग होने पर चन्द्रमा का अरिष्ठ समाप्त हो जाता है और वह शुभफल प्रदाता बन जाता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए