चामर योगः-
लग्न स्वामी अपनी उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो तथा गुरु उसे देखता हो, तो चामर योग कहलाता है।
यदि लग्न में या सप्तम स्थान में या नवम अथवा दशम स्थान में दो शुभ ग्रह हो तो भी चामर योग कहलाता है।
फल:- चामर योग में उत्पन्न जातक उच्च , पूर्ण प्रतिष्टित एवं राज्यमान्य व्यक्तियों द्वारा पूजा जाता है तथा वह विद्वान होता है। वह वेद शास्त्रों का ज्ञाता होता है तथा पूर्ण आयु प्राप्त करता है। हिम्मत, विक्रम और अपने कार्यो के द्वारा वह प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
नोटः:- पूर्ण आयु से तातपर्य 70 से 100 साल के बीच की आयु भोगता है तथा जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए