मंगल में मंगल की अंतर्दशा:

मंगल में मंगल की अंतर्दशा:- केन्द्र, त्रिकोण, लाभस्थान, तृतीय या धनस्थान में शुभग्रह तथा लग्नेश के साथ मंगल हो तो मंगल की दशा में अपनी ही अंतर्दशा में राजकृपा से ऐश्वर्य प्राप्ति, लक्ष्मी का विलास, विनष्ट राज्य तथा अर्थ का लाभ, पुत्रोत्सव तथा गवादि पशुओं से परिपूर्ण घर होता है। वही मंगल अपने उच्च स्वभवन…

शुक्र का धनु राशि में गोचर :-

शुक्र का धनु राशि में गोचर :- ========================= 29 जनवरी 2019 को शुक्र वृश्चिक राशि से निकलकर, धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं| आइए देखते है कि शुक्र आपकी राशि के लिए क्या शुभ अशुभ फल लाए है | मेष राशि :- गुरु की धनु राशि पर स्थित शुक्र के प्रभाव से भाग्य अच्छा…

चन्द्रमा में सूर्य की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में सूर्य की अंतर्दशा:- सवोच्च, स्वभवन, केन्द्र, त्रिकोण, लाभस्थान, धन तथा सोदर(तृतीय) स्थान स्थित बलि सूर्य यदि हो तो चन्द्रमा की दशा में सूर्य की अंतर्दशा आने पर विनष्ट राज्य तथा धन की प्राप्ति , मित्र तथा राजा के प्रसाद से गाँव भूमि आदि का लाभ पुत्र प्राप्ति, घर में लक्ष्मी का विलास अंतर्दशा…

चन्द्रमा में शुक्र की अंतर्दशा:- केंद्र, त्रिकोण लाभस्थान, सवोच्च, स्वभवन में शुक्र यदि जन्म समय में हो तो चन्द्रदशा में शुक्र की अंतर्दशा आने पर राज्यलाभ, महाराज की कृपा से वाहन, वस्त्र, भूषण की प्राप्ति, पशुलाभ, स्त्री-पुत्र की अभिवृद्धि, नूतनभवननिर्माण, नित्य मिष्टान भोजन, सुगन्ध पुष्प की माला, आरोग्य तथा अनेकविध सम्प्रदाय प्राप्त होती है। शुक्र…

चन्द्रमा में केतु की अंतर्दशा:-

केन्द्र, त्रिकोण, लाभस्थान या तृतीय स्थान में सबल केतु रहे तो चन्द्रदशा में केतु की अंतर्दशा आने पर धन-लाल, महासौख्य, पुत्र-स्त्री के सुख, धर्मकार्य, आरम्भ में धन हानि, मध्य में उत्तम सुख, ये फल होते है।। दशेश से केंद्र, त्रिकोण या लाभ स्थान में बलयुक्त केतु हो तो चन्द्रदशा में केतु की अंतर्दशा आरम्भ होने…

चन्द्रमा में बुध की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में बुध की अंतर्दशा:- केन्द्र, त्रिकोण लाभस्थान, स्वभवन, स्वनवांश या सवोच्च में स्थित बलि बुध यदि हो तो चंदर्दशा में बुध की अंतर्दशा आने पर धनागम, राजसम्मान, प्रिय वस्त्रादि सुख, शास्त्रविचार, ज्ञानवृद्धि, पुत्रप्राप्ति, सन्तोष, लाभकारी व्यापार, तथा अनेक अलंकार में भूषित वाहन ये सभी फल होते है। दशापति से केंद्र , त्रिकोण, लाभस्थान या…

चन्द्रमा में शनि की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में शनि की अंतर्दशा:- लग्न से केन्द्र त्रिकोण, स्वभवन, स्वनवांश, सवोच्च में स्थित शनि शुभग्रह दृष्ट हो या बलयुक्त वे लाभस्थान में हो तो पुत्र, मित्र, धनसम्पति की प्राप्ति, शूद्र राजा के आश्रय से व्यवसाय में साफल्य, क्षेत्र(खेत) की वृद्धि, पुत्रलाभ, कल्याण तथा राजानुग्रह से सर्व विध वैभव होता है। शनि यदि 6,8,12 में,…

चन्द्रमा में गुरु की अंतर्दशा:-

चन्द्रमा में गुरु की अंतर्दशा:- लग्न से केन्द्र, त्रिकोण स्वभवन सवोच्च या लाभस्थान में स्थित गुरु हो तो चन्द्रमा की दशा में गुरु की अंतर्दशा आने पर राज्यलाभ, महोत्सव, वस्त्र, अलंकार की प्राप्ति, राजा की प्रसन्नता, धनागम, इष्टदेव प्रसाद से गर्भाधान, शुभकार्य घर में लक्ष्मी का विलास, राजाश्रय से भूमि, हाथी, घोडा से युक्त धन…

बुध का मकर राशि में प्रवेश

बुध का मकर राशि में प्रवेश  =============== ओं चंद्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि | तन्नो बुधः प्रचोदयात || बुद्धि और वाणी के करक ग्रह बुध 20 जनवरी 2019 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे । अतः इसका विभिन्न राशियों पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा यह देखते है | मेष राशि :- बुध के प्रभाव से…

चन्द्रमा में राहु की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में राहु की अंतर्दशा:- केन्द्र या त्रिकोण में स्थित राहु हो तो चन्द्रमा की दशा में राहु की अंतर्दशा आने पर आरम्भ में अल्प शुभ, बाद में शत्रु पीड़ा, महाभय, चोर, सर्प, राजा से भय, पशुनाश, बन्धुनाश, मित्रहानी, माननाश तथा मानसिक व्यथा होती है। वही राहु लग्न से उपचय स्थान में शुभग्रहों से युत…

चन्द्रमा में मंगल की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में मंगल की अंतर्दशा:- लग्न से केंद्र या त्रिकोण में स्वोच्च या स्वक्षेत्र में स्थित मंगल हो तो चन्द्रमा की दशा में मंगल की अंतर्दशा आने पर सौभाग्यवृद्धि , राजसम्मान, वस्त्र, आभूषण, की प्राप्ति, खेत आदि की वृद्धि , व्यापार में विजय ये सभी फल होते है। अष्टम या द्वादश में पापयुक्त भौम हो…

मकर संक्रांति :-

मकर संक्रांति :- ======== 15 जनवरी 2019 को  मकर संक्रांति का पर्व है जो कि जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है, इसका हिन्दू संस्कृति में बड़ा महत्व है | मकर संक्रांति का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योकि हिन्दू संस्कृति में दूसरे त्यौहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाये जाते है जबकि…

सूर्य में केतु की अंतर्दशा फल:

सूर्य में केतु की अंतर्दशा फल:- => सूर्य की दशा में केतु की अंतर्दशा आने पर देहपीड़ा,मनोव्यथा, धनव्यय, राजकोप, स्वजनों से उपद्रव और लग्नेश के साथ केतु के रहने पर अंतर्दशारम्भ में सौख्य, मध्य में क्लेश और अंत में मृत्यु समाचार का  आगमन होता है। => दशेश से अष्टम या द्वादश स्थान में पापयुक्त केतु…

सूर्य में शनि की अंतर्दशा फल:-

सूर्य में शनि की अंतर्दशा फल:- => लग्न से केंद्र या त्रिकोणस्थ शनि हो तो सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा आने पर स्वल्पधान्यजसुख, घर में शुभप्रद विवाहादि शुभ कार्य होते है। => वही शनि अपने उच्च, स्वभवन या मित्रग्रह में हो तो घर में कल्याण, सम्पति, राजसम्मान, अनेकविध वस्त्र तथा अर्थ का शुभांगम…

सूर्य में गुरु की अंतर्दशा फल:- => केन्द्र त्रिकोण, मित्र वर्गस्थ गुरु हो तो सूर्य की दशा में गुरु की अंतर्दशा आने पर विवाहोत्सवजन्य सुख, राजदर्शन, धन- धान्यादिलाभ तथा पपुत्रप्राप्ति, महाराजप्रसाद, से अभिष्टकार्यो की संसिद्धि, तथा  प्रियवस्त्रादि का लाभ, ये सभी होते है। => वही गुरु भाग्येश या राज्येश हो तो राज्यलाभ, नरवाहन की प्राप्ति…