चन्द्रमा में गुरु की अंतर्दशा:-

चन्द्रमा में गुरु की अंतर्दशा:- लग्न से केन्द्र, त्रिकोण स्वभवन सवोच्च या लाभस्थान में स्थित गुरु हो तो चन्द्रमा की दशा में गुरु की अंतर्दशा आने पर राज्यलाभ, महोत्सव, वस्त्र, अलंकार की प्राप्ति, राजा की प्रसन्नता, धनागम, इष्टदेव प्रसाद से गर्भाधान, शुभकार्य घर में लक्ष्मी का विलास, राजाश्रय से भूमि, हाथी, घोडा से युक्त धन…

बुध का मकर राशि में प्रवेश

बुध का मकर राशि में प्रवेश  =============== ओं चंद्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि | तन्नो बुधः प्रचोदयात || बुद्धि और वाणी के करक ग्रह बुध 20 जनवरी 2019 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे । अतः इसका विभिन्न राशियों पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा यह देखते है | मेष राशि :- बुध के प्रभाव से…

चन्द्रमा में राहु की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में राहु की अंतर्दशा:- केन्द्र या त्रिकोण में स्थित राहु हो तो चन्द्रमा की दशा में राहु की अंतर्दशा आने पर आरम्भ में अल्प शुभ, बाद में शत्रु पीड़ा, महाभय, चोर, सर्प, राजा से भय, पशुनाश, बन्धुनाश, मित्रहानी, माननाश तथा मानसिक व्यथा होती है। वही राहु लग्न से उपचय स्थान में शुभग्रहों से युत…

चन्द्रमा में मंगल की अंतर्दशा:

चन्द्रमा में मंगल की अंतर्दशा:- लग्न से केंद्र या त्रिकोण में स्वोच्च या स्वक्षेत्र में स्थित मंगल हो तो चन्द्रमा की दशा में मंगल की अंतर्दशा आने पर सौभाग्यवृद्धि , राजसम्मान, वस्त्र, आभूषण, की प्राप्ति, खेत आदि की वृद्धि , व्यापार में विजय ये सभी फल होते है। अष्टम या द्वादश में पापयुक्त भौम हो…

मकर संक्रांति :-

मकर संक्रांति :- ======== 15 जनवरी 2019 को  मकर संक्रांति का पर्व है जो कि जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है, इसका हिन्दू संस्कृति में बड़ा महत्व है | मकर संक्रांति का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योकि हिन्दू संस्कृति में दूसरे त्यौहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाये जाते है जबकि…

सूर्य में केतु की अंतर्दशा फल:

सूर्य में केतु की अंतर्दशा फल:- => सूर्य की दशा में केतु की अंतर्दशा आने पर देहपीड़ा,मनोव्यथा, धनव्यय, राजकोप, स्वजनों से उपद्रव और लग्नेश के साथ केतु के रहने पर अंतर्दशारम्भ में सौख्य, मध्य में क्लेश और अंत में मृत्यु समाचार का  आगमन होता है। => दशेश से अष्टम या द्वादश स्थान में पापयुक्त केतु…

सूर्य में शनि की अंतर्दशा फल:-

सूर्य में शनि की अंतर्दशा फल:- => लग्न से केंद्र या त्रिकोणस्थ शनि हो तो सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा आने पर स्वल्पधान्यजसुख, घर में शुभप्रद विवाहादि शुभ कार्य होते है। => वही शनि अपने उच्च, स्वभवन या मित्रग्रह में हो तो घर में कल्याण, सम्पति, राजसम्मान, अनेकविध वस्त्र तथा अर्थ का शुभांगम…

सूर्य में गुरु की अंतर्दशा फल:- => केन्द्र त्रिकोण, मित्र वर्गस्थ गुरु हो तो सूर्य की दशा में गुरु की अंतर्दशा आने पर विवाहोत्सवजन्य सुख, राजदर्शन, धन- धान्यादिलाभ तथा पपुत्रप्राप्ति, महाराजप्रसाद, से अभिष्टकार्यो की संसिद्धि, तथा  प्रियवस्त्रादि का लाभ, ये सभी होते है। => वही गुरु भाग्येश या राज्येश हो तो राज्यलाभ, नरवाहन की प्राप्ति…

सूर्य में राहु की अंतर्दशा फल:

सूर्य में राहु की अंतर्दशा फल:- => राहु यदि लग्न से केंद्र या त्रिकोणगत हो तो सूर्य की दशा में राहु की अंतर्दशा आने पर दो मास धननाशकर तथा भयप्रद होते है। => उस समय चोर, सर्प, वर्ण का भय, स्त्री तथा पुत्र को कष्ट होता है।दो महीने के बाद सुख प्राप्ति होती है। =>…

सूर्य में मंगल की अंतर्दशा:-

सूर्य में मंगल की अंतर्दशा:- => मंगल यदि अपने उच्च स्व भवन, लाभ स्थान, केन्द्र या त्रिकोण में हो तो सूर्य की दशा में मंगल की अंतर्दशा आनेपर शुभकार्य , धन-धान्य वृद्धि, घर, क्षेत्रादि का लाभ , रक्त वस्त्रप्राप्ति, ये सब फल होते है। => वही भोम लग्नेश के साथ हो तो सौख्य, राजप्रियता, भाग्येश…

सूर्य में चंद्रमा की अंतर्दशा का फल:-

= चन्द्रमा यदि लग्न से केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो सूर्य की दशा में चंद्रमा का अन्तर विवाहादि शुभकार्य कारक, धन- धान्य की स्मृद्धि, घर, भूमि, पशु, वाहन, तथा अन्य संपदाओं की वृद्धिकारक होता है। = यदि चन्द्र उच्च या स्व भवन में हो तो स्त्री सुख धन प्राप्ति, पुत्रसुख राज सम्मान, तथा…

सूर्य में सूर्य दशा फल:- <= पराशर ने कहा सूर्य अपने उच्चराशि, केन्द्र लाभस्थान अथवा त्रिकोण में हो अपनी दशा तथा अपनी अंतर्दशा में धनधान्यादि लाभकारी होते है। <= नीचादि अशुभ राशिस्थित होने पर विपरीत फल देते है। <=सूर्य द्वितीयेश, सप्तमेश ( मारकेश) हो तो अपमृत्यु का भय होता है। उपाय <= आरोग्य के लिए…

सूर्य का धनु राशि में प्रवेश :

सूर्य का धनु राशि में प्रवेश :- ==================== 15 दिसम्बर 2018 को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके है.आइये देखते है की यह आपकी राशि में क्या शुभ अशुभ फल लेकर आये है . मेष राशि :- धर्म तथा विद्या के घर सूर्य अपने गुरु की धनु राशि में बैठा हुआ है | इसके…

चामर योगः

चामर योगः- लग्न स्वामी अपनी उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो तथा गुरु उसे देखता हो, तो चामर योग कहलाता है। यदि लग्न में या सप्तम स्थान में या नवम अथवा दशम स्थान में दो शुभ ग्रह हो तो भी चामर योग कहलाता है। फल:- चामर योग में उत्पन्न जातक उच्च , पूर्ण प्रतिष्टित…

वीर योगः-

वीर योगः- तीसरे भाव में कोई भी दो पापग्रह और एक सौम्य ग्रह हो तथा उसे चन्द्र देखता हो तो वीर योग होता है। फल:- इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति पुलिस या मिलिटरी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता है तथा प्रसिद्ध होता है। नोटः:- तीसरा भाव वीरता आदि कार्यो में ही सम्बन्ध…