उभयचरीक योगः-

यदि किसी कुण्डली में सूर्य से दूसरे तथा बाहरवें दोनों भावो में ग्रह विद्यमान हो, तो उभयचरिक योग बनता है। फल:- यदि सूर्य से द्वितीय भाव तथा द्वादश भाव दोनों में शुभग्रह हो तो शुभ उभयचरिक योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सहनशील होता है। तथा प्रत्येक प्रकार की परिस्थिति को सहन करने में सक्षम…