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यदि बुध अपनी राशि का होकर या मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का होकर केंद्र में स्थित हो, तो भद्र योग होता है।

फल:- भद्र योग में उत्पन्न मनुष्य सिंह के समान पराक्रमी और शत्रुओ का विनाश करने वाला होता है। विशाल वृक्षस्थल , प्रभावोत्पादक व्यक्तित्व और ऊँचा उठते रहने की निरन्तर चाह ही उसकी प्रमुख विशेषता होती है । ऐसा जातक बन्धु बांधवो, मित्रो एवं सम्पर्क में आने वाले लोगो की हर संभव सहायता करने को उद्यत रहता है।

ऐसे जातक की बुद्धि भी विलक्षण होती है तथा वह पेचीदा से पे पेचीदा कार्य भी सहजता से कर लेता है। ऐसा जातक जीवन में धीरे धीरे प्रगति करता है, परन्तु अंत में सर्वोच्च पद पाने में सफल हो जाता है या अपने जीवन का धैर्य पूर्ण कर लेता है। दीर्घायु होता है। व्यापारिक कार्यो में ऐसे जातक अधिक सफल होते है।

नोटः- बुध मुख्यतः व्यापार एवं बुद्धि का हेतु होता है।अतः बुध जब केन्द्र भाव में बलिष्ठ होकर बैठ जाता है, तो निश्चय ही जातक व्यापार को देश विदेश में फेला देता है या फिर बुध के कारण कोई उच्च पद प्राप्त करने में सफल हो जाता है। बुध के कारण ऐसे व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी नहीं घबराता और संकटो एवं बाधाओं के बीच भी आपना रास्ता ढूंढ लेते है। तुरंत निर्णय लेने की इनमे विशेष क्षमता होती है।

उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए