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मंगल में राहु की अंतर्दशा:-
सवोच्च, मूलत्रिकोण, केन्द्र लाभस्थान या त्रिकोण में गत राहु शुभ दृष्ट हो तो मंगल की दशा में राहु की अंतर्दशा आने पर राजसम्मान, गृह, भूमि का लाभ, स्त्रीपुत्र की प्राप्ति, व्यापर में अधिक सफलता तथा विदेशगमन होता है।
अष्टम या द्वादश में स्थित राहु पापग्रहयुक्त या पापदृष्ट हो तो राहु की अंतर्दशा में चोर, सर्प व्रण का भय, पशुनाश, वात पित्तरोग का भय, जेल, ये सब होते है। धनस्थ रहने पर धननाश तथा महाभय सप्तमस्थ होने पर अपमृत्युभय होता है
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए
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