सिंह
यह विषम, पुरुष, स्थिर तथा अग्नी तत्व राशि है | स्वभाव क्रूर तथा पूर्व दिशा को सूचित करती है | आकृति सिंह नर सांकेतिक चिन्ह है | दिन बलि तथा पर्वत आदि मे विचरण स्थान है | इसका स्वामी सूर्य है |
शानदार एव दबदबे वाला व्यक्तित्व, मस्तक चोड़ा तथा कद ओसत होता है | शरीर सुगठित होता है | और हड्डीया मजबूत होती है | कंधे भरे हुये व पट्टे मजबूत होते है | और आखे चमकदार तथा द्रष्टि तिष्ण होती है | रंग गेहुया ओर सिर पर बाल कम होते है | अखो के भोहों के बाल भी साधारणतः कम ही होते है | उनका स्वास्थ तगड़ा होता है | शरीर का ऊपरी भाग कुछ स्थूल तथा निचला अर्धभाग कुछ पतला होता है |
सिंह राशि जातक उदार, निडर, स्वाभिमानी, इरादे के पक्के, साहसी, उच्च, अभिशाली, धेर्यवान म्हत्वाकांक्षी स्नेही, कृपालु, निष्ठावान, समय तथा ड्यूटी के पाबंद होते है | ये अच्छे प्रबन्धक, अगुवा एव अपने विचारो पर द्रढ़ रहते है | इनका हृदय विशाल होता है तथा दूसरों की सहायता करके ये प्रसन्न होते है | उपकार करने की भावना, जनहित सेवा भाव बहोत होता है जिसके बदले मे ये कुछ नहीं चाहते | अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु द्रढ़ इरादे एव मजबूती के साथ चलते है | बुराई का बदला भलाई मे देते है | ये हर काम मे शिग्रता करनी चाहते है तथा दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहते है | नेता होने की इनमे पूरी समर्थ होती है तथा न्यायप्रिय होते है | ये तेजस्यी होते है तथा शत्रु इनसे भय खाता है एव शत्रु को पराजित करने वाले होते है इनकी आवाज़ भरी ओर यदि कुछ कहते है तो लोग बड़े प्रभावित होते है | प्रभावशाली व्यक्तित्व, रोबदार आवाज़ के कारण ये घर, क्लब, सुसाईटी, पार्टी एब दफ्तर आम पहचने जा सकते है | सिंह राशि वाले जातक की यदि कोई थोड़ी सी भी सहायता कर्ता है तो ये उचित अवसर पर पूर्ण सहायता करते है | ‘आराम है हेयम’ मे इनकी पूर्ण आस्था है | काम को पूरी लग्न एव परिश्रम के साथ करते है | आराम के शानो मे यदि कोई खलबली मचाता है तो ये क्रोध मे आ जाते है |
ये खुशामद, चापलूसी कम करते है | सिंह राशि के जातक अपनी खुशामद, चापलूसी तथा अपनी बढ़ाई व गुणगान सून कर पिघल जाते है | ऊपर से यधपी कठोर दिखते है परण्यु इनके अंदर पूरा, सच्चा स्नेह एव प्रेम होता है | इनमे जीवनशक्ति भरपूर होती है तथा साहस व निडरता अत्यधिक | यदि कोई किसी कारणवश इन्हे दबा भी ले तो ये शीग्र ही फिर सम्मुख हो जाते है ओर सफल होते है | इनके विचार न्यायपूर्ण होते है तथा ये चाहते है की इनके साथ भी न्याय किया जाए |
मित्र बहोत होते है लेकिन उनसे लाभ कम होता है | ‘नेकी कर दरिया मे डाल’ वाली कहावत इन पर पूर्ण ताया चरितार्थ होती है | शत्रु सदा मुह की खाते है |
पढ़ाई के क्षेत्र मे भी ये अग्रिम होते है | पढ़ाई उच्य स्तर तक होती है | डाक्टरी, विज्ञान, प्रबंधकीय पढ़ाई इनकी लग्न है | उच्य तकनीकी शिक्षा ये प्राप्त करते है |
प्रेम, स्नेह, मेत्री इनकी स्थई होती है | परिजनो, भाई बहनों के साथ ये निकटतम संबंध रखना चाहते है किन्तु वे इनके साथ अच्छी तरह से पेश नहीं आते, अतः निभती कम ही है |
शादी\विवाह मे गड़बड़ ही रहती है | दाम्पत्य सुख कम ही होता है | पति\पत्नी के विचारो मे असमानता के कारण ग्रहसथ जीवन सदा अशांत रेहता है | यदि सिंह राशि वालों का कहना एव प्रत्येक आज्ञा अहोभाव के साथ स्वीकार कर ली जाए तो फिर शांति बनी रहती है ओर ग्रहस्त जीवन मे सुख का आभास होता है |
संतान कम होती है | एक पुत्र अवश्य होता है | बड़ा होने पर पुत्र पिता की अनवन आम देखने को मिलती है | संतान का पालन प्राय: माँ ही करती है | सिंह जातक का योगदान कुछ कम ही होता है |
ये अपनी योग्यता से संस्थाओ के प्रधान बन जाते है | यदि सरकारी नोकरी मे हो तो उच्चपद प्राप्त करते है | ये आम तौर से बोलते कम व काम अधिक करते है | य उच्च अधिकार प्राप्त करते है | ये आदर तथा सम्मान भी प्राप्त करते है |
उच्च नेता, राजनैतिक, मंत्री मुल्यवान धातुओ का क्रय-विक्रय, जोहरी, उच्च पद, सरकारी नोकरी,शाशन संबंधी ,डाइरेक्टर, इंजीनियर, डाक्टर,सेना, मेडिकल विभाग, किसी वशेष किए जाने वाल्व ऑपरेशन के नेता बन जाते है | इनको जुए तथा सट्टे का शोक भी लग जाता है | ये शराब का सेवन नहीं करते लेकिन कभी कभी मदिरा सेवन करना पसंद करते है |
आर्थिक स्थती अच्छी रहती है | बहुत पेसा उपकार हेतु लगा देते है, नवीन वस्तुओ पर खर्च करते है | बेशक आर्थिक स्थती गड़बड़ वाली वो लेकिन इनका मान सम्मान पूरा होता है | बंगले इनके कई होते है तथा आराम का समान भी पूरा होता है किन्तु लाभ इनको कम ही होता है |
1,4,7,8,10,12,15,19,20,21,22,24,25,27,28,30,31,33,34,35,37,39,42,45,46,48,52,54,57,58,60,62 आयु के वर्षो मे महत्वपूर्ण घटनाये, पढ़ाई, विवाह,संतान, कारोबार,नौकरी,परमोशन तथा दोस्तो-मित्रो, परिजनो हेतु कई घटनाये घटती है |
वात रोग, तीली,मसाना, गुर्दा,मूत्र-विकार,एक्सीडेंट,हड्डियों का टूटना,बुढ़ापे मे कमजोर, ह्रदय रोग,पेट विकार,बदहजमी, पेट गैस,बवासीर, शरीर से आग निकलना,सिर मे सीकरी,छीक्के लगना, जुखम आदि होने की संभावना रहती है | सिंह राशि वालों की जीवन-शक्ति शक्तिशाली होती है परंतु बीमार हो जाए तो फिर ठीक होने मे समय लगता है |
रविवार का दिन,नारंगी,सुनहरा रंग तथा 1 की संख्या शुभ रहती है | 2-4-7 की संख्या प्रभावित करती है | सिंह जातक के लिए पीला रंग भी शुभ है |
रत्न माणिक ढाई रति का, सोने की अंगूठी मे सूर्योदय पर धरण करना शुभ है | सुर्ख तांबे की अंगूठी धरण करना भी लाभदायक है |
”उक्त जानकारी सूचना मात्र है किसी भी निष्कर्ष पर फ्हूचने से पहले कुंडली के ओर भी ग्रहो की -स्थिति ,बला-बल को भी ध्यान मे रखकर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर फ्हुचना चाहिए |”