ग्रहों के दोष को कम करने के लिए वेदों में बहुत सी जड़िया भी बताई गई है।
ग्रहों के दोष को दूर करने की योग्यता देकर देवताओं द्वारा वनस्पतियो में निहित उन औषधि मणियों को यथासंभव धारण करना, अपने बटुए या गल्ले आदि में रखना या निजी प्रयोग के स्थानों पर सुरक्षित रखना उपयोगी है।
सूर्य की प्रसन्नता के लिए पान का पत्ता, कमल के बीज, महुआ, देवदार की लकड़ी, लाल चंदन, सफेद फूलो वाले आक के पत्ते या जड़, आंवला, इनमे से कोई एक या अनेक चीजो को लेना चाहिए।
चंद्रमा के लिए ढाक की लकड़ी या पत्ता, सफेद चंदन, शंख, सीपी, पानी वाला जटासहित नारियल या नारियल के रेशे से बनी कोई चीज घर में रखनी चाहिए।
मंगल की प्रसन्नता के लिए बेलगिरी, बेल के पत्ते टहनी, कत्था, लाल फूल, कोई भी साबुत मिर्ची, काली सरसो, जौ, हरड़ का विधान किया गया है।
बुध के लिए खजूर या छोहारा, हाथीदांत के पदार्थ, चिरचिटा, सीताफल, सफ़ेद पेठा, गन्ने के टुकड़े रखना बताया गया है।
व्रहस्पति के लिए नींबू, दारू हल्दी, पीली सरसों, पीपल के पेड़ की छोटी छोटी गोलिया, एक मुटठी साबुत चावल, सेमल या कपास की बिना धूनी रुई का टुकड़ा रखे।
शुक्र के लिए छोटी इलायची, अगर या शुद्ध अगरबत्ती, गूलर के पेड़ के अंग, मूली, खुशबु के पदार्थ, फूल रखे। यदि सम्भव हो तो घर में फूल वाले पौधे लगाए।
शनि के लिए कस्तूरी का कण, शमी या सेमल वृक्ष की टहनी, काले उड़द, बेलपत्र या बेल फल रखे। घर के आंगन में केक्टस, गुलाब जैसे काँटेदार पौधे लगाए।
राहु के लिए गूगल, त्रिफला, धान की खीर, मकोय की टहनी, अदरक या सोंठ का प्रयोग करे। बांस का पौधा लगाए या घर में बांस का कोई फनीचर, टोकरी, डलिया आदि प्रयोग में लाए। मुंज का कोई सामान भी रख सकते है।
केतु के लिए कुशा, सरकंडे का सामान, बेंत का फनीचर, नारियल के रेशे से बना सामान, सेंधा नमक, लाख, गिलोय, नींबू या कटहल को प्रयोग करे।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए