वेशि योगः-
यदि चन्द्रमा के अतिरिक्त कोई भी ग्रह या कई ग्रह सूर्य से दूसरे भाव में स्थित हो , तो वेशि योग होता है।
फल:- यदि सूर्य से दूसरे भाव में शुभग्रह स्थित हो , तो शुभ वेशि योग तथा पापग्रह हो तो अशुभ वेशि योग होता है।
शुभ वेशि योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सौम्य आकृति का होता है। तथा भाषण द्वारा लोगो को प्रभावित करने की कला में दक्ष होता है ऐसा व्यक्ति नेतृत्व में भी दक्ष होता है तथा उसके कार्यो से जनता उस पर श्रद्धा रखती है ।
आर्थिक दृष्टि से ऐसा जातक सम्पन्न होता है तथा जीवन में विविध भोगो का भोग करता है ऐसा जातक शत्रुओ को नीचा दिखाने में तथा उन्हें परास्त करने या समूल नष्ट करने में कुशल होता है ऐसे व्यक्ति का अनेक लोग अनुकरण करते है।
ऐसा जातक अपने कार्यो से देश और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
अशुभ वेशि योग में जन्म लेने वाला जातक दृष्ट लोगो की संगति करता है तथा उन्ही की संगति में आनन्द प्राप्त करता है। उसके मस्तिष्क में हर समय कुचक्र घूमते रहते है तथा वह आजीविका के लिये परेशान रहता है। ऐसा जातक अपने दृष्ट कार्यो एवं दुष्ट स्वभाव के कारण कुख्यात भी होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए