लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योगः-
यदि लग्नेश बलवान और पूर्ण अंशो में हो, शुभग्रहों से युत या दृष्ट हो, केन्द्र में स्थित हो, तो लग्नेश कृतोरिष्ट भंग योग होता है।
फल:- कुण्डली में लग्नेश से अरिष्ठ हो या लग्नेश 6, 8, 11 वें भाव में हो तो उपयुक्त स्थिति होने पर जातक की कुण्डली का अरिष्ठ शान्त होता है तथा उसकी दीर्घायु होती है।
नोटः- चन्द्र कृतोरिष्ट भंग योग की टिप्पणी में चन्द्र की जो 6 अरिष्ठ स्थितियों बतायी गयी है, वे ही स्थितियां लग्न के स्वामी के साथ घटित हो, तो अनिष्ठ और अल्पायु मानी जाती है, परन्तु उपयुक्त योग होने पर लग्नेश से उत्पन्न अरिष्ठ शान्त हो जाता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए