चन्द्रमा में बुध की अंतर्दशा:-
केन्द्र, त्रिकोण लाभस्थान, स्वभवन, स्वनवांश या सवोच्च में स्थित बलि बुध यदि हो तो चंदर्दशा में बुध की अंतर्दशा आने पर धनागम, राजसम्मान, प्रिय वस्त्रादि सुख, शास्त्रविचार, ज्ञानवृद्धि, पुत्रप्राप्ति, सन्तोष, लाभकारी व्यापार, तथा अनेक अलंकार में भूषित वाहन ये सभी फल होते है।
दशापति से केंद्र , त्रिकोण, लाभस्थान या द्वितीय स्थान में बुध हो तो चन्द्रमादशा में बुध की अंतर्दशा आने पर विवाह, यज्ञ, दान धर्म आदिक शुभ कार्य तथा राजा को प्रसन्न कराने वाली विद्वानों की संगति , मोती , मणि, प्रवाल आदि रत्न तथा वाहन, वस्त्र, भूषण की प्राप्ति, प्रेम, सुख तथा सोमपान का सुख ये सभी फल होते हैं।
दशापति 6,8,12 में वा नीच में बुध हो तो चन्द्रदशा में बुध की अंतर्दशा आने पर शारीरिक पीड़ा, कृषि , गो, भूमि का विनाश, जेल , स्त्री पुत्र को कष्ट, एवं 2,7 के अधिप होने पर ज्वरपीड़ा महाभय या सब फल होते है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए