ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल
बुध
पहला भाव:- यदि बुध पहले भाव में हो तो विद्वान, नम्र, धनी, मधुरभाषी, गणितज्ञ, व्यापारी, सहायक, युक्तियुक्त, उदार, हंसी मजाक वाला स्वभाव, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला, शराब तथा खाने पीने वाला, ससुराल एवं सन्तान पक्ष बुरा। बुद्धिमान, सुन्दर, मित्रप्रिय, बंधुपोषक होता है।
दूसरा भाव:- यदि बुध दूसरे भाव में हो तो राज्याधिकार, व्यापारी, ताए, चाचे, बाबा के लिए बुरा। कंजूस, पिता सुख कम यदि अकेला तो पूरी शान शौकत। अच्छा वक्ता, चतुर वकील,धन भाव में बुध हो तो मितव्ययी, संग्रही, क्लेशहीन, सत्कार्य कारक, कुटुम्बी, सुन्दर, मिष्टभासी, साहसी होता है।
तीसरा भाव:- यदि बुध तीसरे भाव में हो तो परिश्रमी, लेखक, ज्योतिषी, संपादक, मुद्रक, शायर कवि, घूमने फिरने वाला, टेलीफोन विभाग, सहायक, पड़ोसियों से अनबन, काम में निपुर्ण, पिता को असुख, बहन, बुआ का सुख। बीमारी के कारण हस्पताल योग , व्यवसायी, यात्राशील, धर्मात्मा, बन्धु पूज्य, चंचल और सद्गुणयुक्त्त होता है।
चौथा भाव :- यदि बुध चौथे भाव में हो तो भाग्यशाली, सवारी का सुख, उदार, दानी, विद्वान, यात्रा के बिना मतलब हल हो, धन दौलत अच्छी हो, माता के लिए बुरा ही हो। सरकारी अधिकारी। बहुत छानबीन की आदत, संवेदनशील, मानसिक अस्थिरता, आत्महत्या तक नोबत आ सके। मातृप्रेमी, वाहनप्रिय, बुद्धिमान, नीतिनिपुण, विनीत, वृद्धसेवी, होता है।
पाचवा भाव:- यदि बुध पाचवे भाव में हो तो सुखी, बुद्धिमान, सम्पन्न होगा, शायर, परिश्रमी, पिता के स्वास्थ्य आदि के लिए बुरा, सन्तान सुख, नाभि आदि के निकट कष्ट।चंचल, हस्यप्रिय, शास्त्रप्रिय, कवित्वयुक्त, कुटुम्बी, धनवान उद्यमी होता है।
छठा भाव:- यदि बुध छठे भाव में हो तो हुनरमंद, परन्तु कमाई में हल्का रहे, छापाखाना, प्रैस, पवलिशर, दिमाग कारोबार, व्यापारी, परिश्रम से स्वयं धनवान बने, पहली लड़की, झगड़े पक्ष में हो, हकीम, डॉक्टर, वकील। कुदृष्टि पड़े तो आलसी, रोगी, लकवा, तंतु प्रणाली रोग, दिमागी उलझन, स्वास्थ्य श्रीण, बुरे प्रेम सम्बन्ध, पेट में खराबी, बदहजमी हो।बाल्यकाल में क्लेशित, दुर्बल, चंचल, स्त्रीप्रिय, कामी मनुष्य होता है।
सातवाँ भाव:- यदि बुध सातवे भाव में हो तो व्यापारी, यदि अकेला तो गृहस्थ जीवन से असंतुष्ट, धनी, लेखक, शायर, सम्पादक, बुद्धि की होशियारी, कम ही काम दे। लोगो के लिए अच्छा। स्त्री धनी घर से, सांसारिक सुख सागर अच्छा। शत्रुओ पर विजय। कलम की ताकत पूरी। अधिकारी, सहायक, यदि शुक्र साथ नहीं तो पारिवारिक अशान्ति रहे।सुन्दर, विलासी, स्त्रीप्रिय, व्यवसायी, दीर्घायु होता है।
आठवा भाव:- यदि बुध आठवे भाव में हो तो जहमत, बीमारी, मुकदमा। हर आठवे वर्ष मंदा। भाइयो का रुतबा बुलन्द करे। पति पत्नि की आयु के लिए बुरा। क्रोधी, ड्राइवर, मेकेनिक, छापेखाने का मालिक। इंजीनियर भी बनता है। बीमारी के कारण हस्पताल तथा उपद्रव के कारण जेल।बालकपन में क्लेशयुक्त, मनस्वी कष्टरहित, बलवान, गम्भीर, धनवान, कुटुम्बी और धर्मात्मा मनुष्य होता है।
नवा भाव:- यदि बुध नवे भाव में हो तो लेखक, सम्पादक, जज,वकील, स्टाफ नर्स, सहायक, विद्वान, व्यापारी, अधिकारी, संगीतकार, बोलते समय थथलाए, स्त्री के लिए बुरा, सन्तान की और से परेशानी। बहन। बुआ, मामी आदि का स्वास्थ्य श्रीण।धर्मभीरु, चंचल, बुद्धिमान, विद्वान, भाग्यवान, व्यवसायप्रिय, संग्रही और द्रव्यमान होता है।
दसवा भाव:- यदि बुध दसवे भाव में हो तो दीर्घायु, अधिकारी अथवा व्यापारी, रोजगार में परिवर्तन करे, चालाक, चुस्त, होशियार, जी हुजूरिया, विद्वान, सम्मानित, माता पिता का आज्ञाकारी, मकान बनाए, पिता के लिए बुरा, शराब पिए। भाग्यवान, मनस्वी, स्वतन्त्र, राजप्रिय, राजमान्य, यशस्वी, गृहवान , भूमि सम्पत्तिवान होता है।
ग्यारहवा भाव:- यदि बुध ग्यारहवे भाव में हो तो धनी, दौलतमंद। 34 वर्ष की आयु तक दुविधा में।तदोपरान्त उत्तम, इच्छाए पूर्ण हो, विद्वान, सम्मानित, यात्रा करे, नेता, वक़्ता, माता पिता का कहा कम माने, जिद करे, विद्या पूरी परन्तु आरम्भ में अटके। यशस्वी, पुत्रवान, सद्व्ययी, विचारवान, धनवान, और शत्रुनाशक होता है।
बारहवा भाव:- दीर्घायु, सम्पन्न किन्तु भाग्य डावांडोल रहे। अनिंद्रा। कुदृष्टि तो बहुत दुखी। 25 वर्ष से पूर्व विवाह बुरा, भाइयो से बिगाड़, दुसरो के लिए बचाए। व्यापार, सट्टा मंदा। अलसी, कम बोले, गुप्त विद्या का विशेषज्ञ, उदार। चतुष्पदप्रिय, मिष्टवाक, धनवान, सुमुख, सुन्दर और धर्मात्मा मनुष्य होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए