शनि अमावस्या
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4 मई शनिवार के दिन अमावस्या का सयोंग होने से शनैश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है इस दिन स्नान,दान,तर्पण करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है
शनि देव को प्रशन्न करने हेतु शनि अमावस्या का लाभ लेकर शनि देव की आराधना करने से समस्त शनि भक्तो को शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए |
शनि जब वक्री हो, ढैया या साडेसाती लगी हो, जन्म के समय लोह पाद चरण में जन्म हो, कालसर्प या |पित्र दोष हो, शनि की दशा या अन्तर्दशा हो तो इस सम्यावदी में शनि दुःख देते है जिसमे अपमान या अपयश होना, हृदय पीड़ा, कोर्ट कचहरी के चक्कर होना शामिल है, इन समस्यायों की निवृति के लिए शनि अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करने से कष्ट दूर हो जाते है |
शनि अमावस्या पर शनि देव की शांति हेतु उपाय
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शनि तीर्थ या शनि मंदिर में जाकर अपने पुरे परिवार की शनि पीड़ा की शांति के लिए वर्त उपवास करे | निम्न वस्तुओ को एक थाली में रखकर धुप दीप जलाये | काले तिल, काला वस्त्र सवा मीटर, सवा किलो उड़द की दाल, काला चना, तिल के लड्डू, गुड, नमक, दो लोहे की कील, जटा वाला पानी का नारियल. उपरोक्त सभी वस्तुए काले कपडे में बांध कर शनि मंत्र को १०८ बार जाप कर पुरोहित को देदे |
अपना पहना हुआ वस्त्र गरीब को दान करे और धन भोजन देकर उसको संतुस्थ करे |
काले रंग के छाते पर काले पेन से ” ॐ शं शनैश्चराय नमः ” चारो और लिख कर दक्षिणा सहित मोची को या डाकोट को दान कर दे |
गरीबो को सरसों के तेल से बनी पूरी व आलू बैगन की सब्जी से भरपेट भोजन कराये |
अपना पहना हुआ जूता या चप्पल किसी गरीब को पहना दे |
चालीस शनि चालीसा भक्तो को बाटे |
रात्रि को सरसों के तेल में नो दिए जलाये | मिटटी के दियो को मुख्या द्वार पर, पूजा घर, छत पर, तुलसी, पानी पीपल व पछिम दिशा में रखे |
भोजन में तिल के लड्डू, उड़द की दाल, गुड, मीठी पुड़ी आदि बना कर शनि देव को भोग लगा कर गाय को, कुत्ते को व कौए को खिलाये | प्रसाद स्वरुप स्वयं भी भोजन ले |