कन्या राशि
यह सम, स्त्री एवं द्वीस्व भाव राशि है! पृथ्वी तत्व, सोम्य स्वभाव तथा दक्षिण दिशा की मालिक है प्रकृति वात तथा प्रभाव सर्द शुष्क है! जति वैश्य, रंग पांडुरंग, हरा चितकबरा, रात्रि बलि द्वीपद एवं सरल भूमि में विचरने वाली है इसका स्वामी बुध है तथा यह अस्थिर स्वभाव की मालिक है
शरीर दुबला पतला कद लम्बा परन्तु कई जातक छोटे कद के भी देखे गए है! घने काले बाल, छोटी-छोटी आँखे नज़र तेज होती है! रंग साफ़ गेंहुआ तथा जल्दी जल्दी चलते है, शरीर चिकना व कोमल होता है! ये बड़े चुस्त होते है तथा सही आयु से इनकी आयु कम ही प्रतीत होती है!ये बड़े फुर्तीले और सूझवान होते है!
न्यायप्रिय, दयालु तथा हर काम को बहुत ठन्डे मस्तिष्क से सोचते है विचारशील, बुद्धिमान, नम्रता वाले होते है!उलजनो तथा समस्याओ की गुथी सुलजाने की इनमे पूण सामर्थ्य होती है!
भाई, बहन कई होते है परन्तु उनके साथ कम ही निभती है विचारो में असमानता के कारण तथा स्वभाव परिवर्तनशील होने हेतु परिजन कई बार नाराज हो जाते है फिर भी ये चतुर होते है और मौका संभाल लेते है!
प्रेम-सम्बन्ध में अड़चने आती है ये सोचते बहुत है इसलिए पिछड़ जाते है यदि सातवे घर का स्वामी गुरु आगे द्वीस्वभाव राशि में बैठा हो तो विवाह दो होते है स्वभाव के कारण विवाह ठीक रहता है परन्तु यह विवाह देर बाद ही कराते है तथा ज़गड़े भी होते है !
संतान सुख मिलता है संतान से कष्ट भी झेलना पड़ता है! किसी बच्चे की ऊंची जगह से गिरने के कारण चोट लगने तथा बीमारी का भय लगा ही रहता है! पानी,पशुओं एवं गाड़ियों आदि से बच कर रहना चाइये!
पढाई उच्च स्तर की होती है ये अपने मस्तिष्क से ही पढाई की मंजिले तय कर लेते है यदि ग्रह स्थति ठीक हो तो ये अवश्य ही उच्च शिक्षा प्राप्त करते है!
अधिक पढ़े-लिखे जातको में विज्ञान के प्रति पूर्ण रूचि होती है! साधारण जातक व्यापार को बहुत पसन्द करते है तथा अपनी बुद्धि से धन कमाते है! पहले जीवन में सफलता काम मिलती है परन्तु आयु के बढ़ने के साथ साथ सफलता होती है! गणित में पूर्ण होते है ! चित्रकार, कवि रचियता गणित आदि में चतुर होते है ! डॉक्टर, ज्योतिषी, ऑडिटर, पत्रकार, अध्यापक, राजदूत, सहायक, सैकेट्री, सहायक नर्स, स्टाफ नर्स, फार्मिस्टर, एकॉन्टेड, वकील हो तो सफल रहते है!
कन्या पृथ्वी तल राशि है इसलिए इन जातकों का ध्यान धनोपार्जन की ओर बहुत होता है तथा धन एकत्र करने में लगे रहते है !
5,9,12,14,15,18,19,21,22,23,25,27,29,32,35,39,41,42,43,45,48,50,53,54,59,63, आदि आयु के वर्ष महत्वपूर्ण होते है यात्राएं बहुत होती है तथा जीवन में संघर्ष भी करना पड़ता है ! विदेश यात्रा भी होती है! घर वाहन युक्त होता है!
रोग यद्दपि कम ही होते है परन्तु इनको रोग का भ्रम बना रहता है हाजमे की खराबी, पेट दर्द, पेट के ऊपरी भाग में गेस, डकार, पेचिस, संग्रहणी, खासी, कंधे हाथो के रोग, चर्म रोग, बवासीर वादी एवं तंतु प्रणाली के रोगों की सम्भावना रहती है ! शराब इनके लिए विशेष हानिकर होती है पेट, जिगर, हाथ पैर, चमड़ी व् तंतु प्रणाली का विशेष रखा जाना चाइये ! यदि कही बुध छठे घर में, जो की इसका स्वभाविक घर है बैठा हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है तथा किस्मत ख़राब होती है यदि केतु बैठ जाए तो जातक का बड़ा, मामा ही होता है !
बुधवार के दिन 5 की संख्या शुभ है, संख्या 5 की बाकि संख्याओं का साथ अच्छी निभती है परन्तु संख्या 9 का विशेष प्रभाव देखा गया है
इसका रत्न पन्ना है यह तीन रत्ती चाँदी अथवा सोने की अंगूठी में दांए हाथ की कनिष्ठका में धारण करना शुभ है!
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बला-बल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए