मंगल ग्रह का प्रभाव
मंगल
यह मेष एवं व्रशचक राशि का स्वामी है। साधारण स्वभाविक कुंडली में यह पहले तथा आठवे भाव का स्वामी है। राशि चक्र पूरा करने के लिए यह लगभग 17 माह लगाता है। हर दो वर्ष पश्चात यह लगभग 2 माह वक्रीय रहता है। सूर्य के चारो ओर यह दो वर्ष से कम समय लगाता है। यदि जन्म कुण्डली में वक्रीय होता है तो इसका प्रभाव बुद्धि क्रियाशील पर बुरा ही पड़ता है। इस प्रभावाधिन यह जातक को बुरी हरकते करने वाला, फ़सादी, अपराधी, अपंग व् असामाजिक बना देता है, यदि कुण्डली में और अच्छे प्रभाव न हो। यह आकार में पृथ्वी जैसा है इसलिए इसे पृथ्वी पुत्र भी कहा जाता है। यह ताम्र रंग का चमकता हुआ ग्रह है। स्वभाव का क्रोधी, फ़सादी, चुगलखोर एवं झूठा है। यदि बलवान कुण्डली में हो तो पराक्रमी, सच्चाई पसन्द, सहयोगी, सेनापती, अगुवा, बहादुर, शूरवीर तथा अच्छा डॉक्टर व् सर्जन होता है।
यदि निर्बल हो तो झूठा, चुगलखोर, क्रोधी, दृष्ट, डाकू, चोर तथा दुर्घटना कराता है। ज्वर, हैजा , चेचक, आग से जलना आदि जैसे दुःख देता है। ग्रहस्थ जीवन एवं भाई के लिए हानिकारक सिद्ध होता है।
मंगल बल व् साहस का भी प्रतीक है। यदि मंगल बलवान हो तो शक्ति, सामर्थ्य, भुसम्पति, कृषि कार्यो से लाभ, अग्नि, भट्टी आदि कामो को करने में उत्साह एवं तीव्रता देता है। तेजस्वी, उदारह्र्दय, बलवान, विजय, मुक्त स्पष्ट व्यवहार, निष्कपट, मैत्री रखने वाला , सुधारवादी, युद्धकला, निपुर्ण, आत्मनिर्भर, अपने आप में प्रसन्न रहने वाला, रसायनशास्त्री आदि बनाता है।। निर्बल होने पर क्रोधी, आलसी, धोकेबाज, मुर्ख, हठी, बुरे स्वभाव वाला, झगड़ालू, दुसरो को लड़ा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाला, उड़ाऊ खाऊ, धर्म से लापरवाह, भृष्ट आचार वाला और कूकर्मी बनाता है।
प्रभाव एवं क्या क्या विचारना:- भाई, पृथ्वी, पुत्र सुख, क्रोध, निर्माण कार्य, पेट से पीठ तक , सृष्टि, फसाद, आग, झगड़ा, ससुराल इसके प्रभावाधीन होते है। बुद्धि की बारीकी, जायदाद, झगड़ा, पिस्तौल गोली, शीघ्र परिणाम, स्वभाव, चोरी डाके, खाना-पीना, हौसला, रोग, दुर्घटनाएं, शत्रु, साहस, बल, स्वतंत्र भावना आदि का इससे ही विचार होता है। यह तीसरे और छठे भाव का भी कारक है। इन भावों के फल विचार समय मंगल को ध्यान में रखना चाहिए।
रोग:- मंगल निर्बल होने पर ज्वर, हड्डी चोट, गर्मी के रोग, चेचक, फोड़े-फुंसी, ब्लड प्रेशर, दुर्घटनाएं आग की घटनाएं आदि विकार होते है।
निशानी:- यदि बच्चे पैदा होकर मरते जाएं आँख कानी हो जाएं तो मंगल निर्बल हुआ समझे। चोट/ घाव/एक्सीडेंट होना निर्बल मंगल की पक्की निशानी है।
मकान:- मंगल जिस भाव में बैठा हो घर की उस दिशा की ओर खाने पीने का स्थान, रसोई, लाठी, डंडा, बन्दुक, पिस्तौल, हथियार अर्थात लड़ाई का सामान होगा। उस और भट्टी , तंदूर आदि भी देखा गया है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |