ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल
शनि
पहला भाव:- यदि शनि पहले भाव में हो तो सफल डॉक्टर होगा। विद्या अधूरी तथा सब काम देर से हो। धैर्य, सन्तोष एवं परिश्रम से अधिकारी, प्रबन्धक, वहमी, धनवान, शनि अपनी राशियों तथा गुरु की राशियों में धन एवं सम्पन्नता देता है। दुर्घटना भय। शारीरिक शक्ति कमजोर। बाल रोगी, परन्तु धनु, मीन, तुला, वृष, मकर,ओर कुम्भ का शनि होकर लग्न में हो तो सुन्दर, भाग्यवान, गुणवान, प्रतापी होता है।
दूसरा भाव:- यदि शनि दूसरे भाव में हो तो कपड़े तथा बिल्ड़िंग के कामो में लाभ, व्यापारी, प्रॉपटी डीलर, एकांत चाहे, उदास रहे। घर के कामो में आग्रणी। बुरी संगत एवं सोहबत। परिवार में अशांति। डॉक्टर। कुटुम्बी, मातृभक्त, लाभवान और बाल्यकाल में दुःखी हो।
तीसरा भाव:- यदि शनि तीसरे भाव में हो तो खोजी,शत्रुजित, डॉक्टर, सर्जन, दुर्घटना भय यात्रा में। धन प्राप्ति कम। यदि कुदृष्टि भी पड़ती हो तो चोर, डाकू, फ़सादी, सन्ततिक्लेशी, परदेशी, चंचल, विशेष व्ययी और बलवान हो।
चौथा भाव:- यदि शनि चौथे भाव में हो तो सम्पति लाभ नहीं, कृषि उत्पादन घटता जाए। पराई स्त्री से प्रेम सम्बन्ध, डॉक्टर, उदास, माँ दुखी, क्रोधी, पैतृक घर छोड़ना पड़े तथा पैतृक घर पुराना, दरारें पड़ी हुई, 35 वे वर्ष जीवन में परिवर्तन। भाग्यवान, वाहनादियुक्त, पितृक्लेशकर, दुर्लब, कृश, उदासीन और विक्रतियुक्त हो।
पाचवा भाव:- यदि शनि पाचवे भाव में हो तो आलसी, सन्तान में विलम्ब, नियोजित परिवार, विद्वान, पेट के विकार। सन्तान सुख कम, विवाह दो योग, शराबी। ईर्ष्यालु, दयाहीन, चंचल और आलसी होता है।
छठा भाव:- यदि शनि छठे भाव में हो तो शत्रुजित, परिश्रमी, सब्र संतोष वाला, अनैतिक आचरण, कार्यो में रुकावट, पुलिस, डाक तार विभाग अधिकारी, बढ़िया खिलाडी, धनी यात्रा में लाभ। मातृक्लेशयुक्त,बाधायुक्त, शत्रुनाशक, रोगी, बलवान और आचारहीन हो।
सातवाँ भाव:- यदि शनि सातवे भाव में हो तो धनी अच्छा आय, टेक्निकल रोजगार इंजीनियर, डॉक्टर, पेरा मेडिकल स्टाफ, पत्नी से लाभ परन्तु 35वर्ष पश्चात अचानक झटका लगे। आलसी, बुरे काम करे, पर स्त्री सम्बन्ध, स्वभाव चिड़चिड़ा, घर में गड़बड़ करे, पिता के कामो में रुकावट, माता का स्वास्थ्य क्षीण। बड़े दांत वाला, घूमने वाला, स्त्री भक्त, विलासों, कामी नीच कर्म करने वाला।
आठवा भाव:- यदि शनि आठवे भाव में हो तो दीर्घायु , दुर्घटना घटे, बवासीर, गुप्त रोग, डरपोक, बहुत काम करने वाला, डॉक्टर, इंजीनियर, बिल्डिंग ठेकेदार, गृहस्थ जीवन दुखी, अशांत हो। पत्नी का सुख कम। संतान सुख कम। परेशान रहे। स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी।
नवा भाव:- यदि शनि नवे भाव में हो तो यूँ ही आवारा घूमता रहे, कही भी मन न लगे,यात्रा बहुत, विदेश यात्रा रूकावट से धनी, मकानों का मालिक, सुखी दानी, उदार, खोजी, छानबीन करने वाला, राज दरबार बढ़िया परन्तु तरक्की धीरे धीरे हो, माता के लिए बुरा। पत्नी के लिए उत्तम। बाते बहुत करे। धर्मात्मा, बलवान, साहसी शत्रु पीड़ित, लाभवान और विदेशी हो।
दसवाँ भाव:- यदि शनि दसवे भाव में हो तो डॉक्टर, इंजीनियर, मेडिकल एवं स्वास्थ्य विभाग। अचानक तरक्की बाद में अचानक घाटा, रुकावटे, परेशानी, भला आदमी, नेता, सरकारी अधिकारी नहीं तो कर्मचारी, अपने आप के विषय में सोचे। शराबी तो नुक्सान पावे। बाल कम विशेषत मुह पर। भाग्यवान, यशस्वी, दयालु, सम्पत्तिवान, और गुणवान होता है।
ग्यारहवाँ भाव:- यदि शनि ग्याहरवें भाव में हो तो विद्वान परन्तु विद्या में गड़बड़, यदि परिश्रम करे तो कही का कही पहुचे। बुजुर्गो से धन, सम्पति प्राप्त हो। गृहस्थ सुख, भाइयो से लाभ, संबंधियों से कम मिले। व्यापार से लाभ। शराब पीए तो बुरा फल ही हो। कामी, भोगी होता है।
बारहवा भाव:- लम्बा कुनबा, धनी, सम्पन्न, सिर में टाक, घर से बाहर अथवा विदेश में रहने वाला। अशुभ प्रभाव तो दुःख, परेशान, रात की नींद हराम, एकांत प्रेमी, गुप्त वास करे, आलसी, बुरे काम करे, हस्पताल, जेल जाए। माता पिता के लिए अशुभ। जेल विभाग, मनोरोग हस्पताल, कचहरी, रात की शिप्ट के काम, गुप्त रोजगार मिले। शत्रु पीड़ायुक्त, मातुल क्रष्टप्रद, वाहनक्लेशी, बहुव्ययी, नेत्र विकृति युक्त्त और आलसी मनुष्य होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए