मांगलिक दोष के उपाय
विवाह में सबसे अधिक गड़बड़ मंगल, शनि, अथवा केतु के द्वारा ही पैदा की जाती है और स्थूल रूप में शनि के प्रभाव को भी मंगल के समकक्ष ही माना जाता है। अतः यदि विवाह के लिए प्रस्तावित दो व्यक्तियों में से एक व्यक्ति की कुंडली में मंगल अथवा शनि का अथवा मंगल और शनि दोनों का दोष विद्यमान हो तथा दूसरी कुंडली में परिहार योग को लागू करने के बाद भी दोष का कुछ अंश शेष बीच जाय तो उसका निराकरण करने के लिए आचार्यो ने पूजा पाठ, दान, मंत्र-जप, यंत्र-पूजन आदि सुझाये है।
यदि कन्या मांगलिक है और वर मांगलिक नहीं है तो कन्या के मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए वास्तविक वर से विवाह के पूर्व फेरो के पहले कन्या के फेरे केले के पेड़, घड़े, या विष्णु भगवान की मूर्ति के साथ कराने चाहिए जिससे कन्या के मांगलिक दोष के दुष्प्रभाव स्थानांतरित हो जाते है।
तीक्ष्ण मांगलिक दोष निवारणार्थ मांगलिक कन्या की स्वर्ण निर्मित विष्णु प्रतिमा के साथ अथवा शालिग्राम प्रतिमा के साथ लघु विवाह कराना चाहिए जिसमें माता पिता पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान् विष्णु को कन्या दान का संकल्प करें।
इस संदर्भ में विष्णु की प्रतिमा 56 ग्राम सोने की होनी चाहिए एवं विवाह को पूर्ण रूप से गुप्त रखने का संकल्प लड़का- लड़की, उनके माता-पिता तथा पंडित को करना चाहिए
कन्या को श्री मंगल चंडिका का पाठ दिन में 7 से 21 बार 108 दिन तक करना चाहिए। कन्या की कुंडली में यदि वैधव्य योग बन रहा है, तो वट सावित्री का व्रत रखना चाहिए।
मंगला गौरी का व्रत भी इस दृष्टि से प्रशस्त फलदायक है। आयु जातक का निजी भाग्य है फिर भी संग का असर पड़ता है एवं पूर्ण मांगलिक का विवाह सादे से करना ठीक नहीं है।
यदि वर मांगलिक हो और कन्या मांगलिक नहीं हो तो वर का विवाह वास्तविक कन्या के फेरे से पूर्व तुलसी के पौधे के साथ करवाने चाहिए, जिससे वर के मांगलिक दोष के प्रभाव तुलसी के पौधे में स्थानांतरित हो जाते है। खेजड़ी वृक्ष या शमी वृक्ष से लघु विवाह कराने का भी प्रावधान है। अन्य प्राचीन उपायो में कुंभ विवाह का भी प्रावधान है। जिसमे घट पूजन के बाद विवाह कराकर घट को विसर्जित कर देना चाहिए।
मांगलिक वर या कन्या का विवाह 28 वर्ष की आयु के पश्चात किया जाये, जिससे मंगल का दोष प्रभावहीन हो जाता है।
यदि जाने अनजाने मंगल दोष रहते हुए विवाह हो भी जाए तो दंपति को मंगल शांति करा लेनी चाहिए। प्रत्येक शादी की वर्षगांठ पर घर में मंगल यंत्र स्थापित करके मंगल शान्ति के 108 पाठ करने से वैवाहीक जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।
यदि मंगल योग कारक हो तो 8 रत्ती का मूंगा पहनकर मांगलिक दोष का निवारण किया जा सकता है मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है।
जिस कन्या की कुंडली में मंगल दोष होता है वह अगर विवाह से पूर्व गुप्त रूप से घट से अथवा पीपल के वृक्ष से विवाह कर ले फिर मंगल दोष से रहित वर से शादी करे तो दोष नहीं लगता है प्राण प्रतिष्ठित विष्णु प्रतिमा से विवाह के पश्चात अगर कन्या विवाह करती है तब भी इस दोष का परिहार हो जाता है।
मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मांगलिक दोष शांत हो जाता है।
कार्तिकेय जी की पूजा से भी इस दोष में लाभ मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र का जप सर्व बाधा का नाश करने वाला है। इस मंत्र से मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक जीवन में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है। लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल का अमंगल दूर होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए |