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यदि चन्द्रमा के अतिरिक्त कोई भी ग्रह या अनेक ग्रह सूर्य से बाहरवें स्थान में विद्यमान हो, तो वासी योग होता है
फल:- वासी योग में जन्म लेने वाला जातक अपने कार्य में दक्ष होता है। यदि सूर्य से बाहरवें भाव में शुभग्रह हो तो, जातक प्रसन्न, निपुण, विद्यावान, गुणी और चतुर होता है। वह हर समय प्रसन्नचित एवं आनन्दित रहता है तथा पारिवारिक दृष्टि से सूखी, यश प्राप्त करने वाला एवं शत्रुओ का संहार करने वाला भी होता है। परंतु यदि सूर्य से बाहरवें स्थान पर पापग्रह हो, तो जातक प्रायः अपने निवास स्थान से दूर ही रहता है तथा जीवन में कई ऐसी भयंकर भूले कर देता है, जिनसे वह सन्तप्त एवं दुखी रहता है। उसके मन में हर समय बदला लेने, रक्तपात एवं लूटमार करने की भावना रहती है। उसके चेहरे से भी क्रूरता झलकती है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए