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शुभकर्तरी:-
यदि लग्न से दूसरे तथा बाहरवें भाव में शुभग्रह हो, तो शुभकतरी योग बनता है।
फल:- शुभकर्तरी योग में जन्म लेने वाला जातक तेजस्वी होता है उसके जीवन में आय के अनेक स्त्रोत होते है। तथा वह अर्थ संचय में भी प्रवीण होता है। शारीरिक दृष्टि से भी ऐसा जातक स्वस्थ्य, सबल और पुष्ट होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए
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