सूर्य में मंगल की अंतर्दशा:-
=> मंगल यदि अपने उच्च स्व भवन, लाभ स्थान, केन्द्र या त्रिकोण में हो तो
सूर्य की दशा में मंगल की अंतर्दशा आनेपर शुभकार्य , धन-धान्य वृद्धि,
घर, क्षेत्रादि का लाभ , रक्त वस्त्रप्राप्ति, ये सब फल होते है।
=> वही भोम लग्नेश के साथ हो तो सौख्य, राजप्रियता, भाग्येश या लाभेश
के साथ रहने पर लाभ, शत्रुनाश , मन:स्थिरता, आत्म सुख, बन्धुसुख,
भ्रातृवृद्धि, ये सब होते है।
=> दशापति से 6,8, में स्थित भोम पापयुक्त या पापद्रष्ट हो, निर्बल हो तो
उसकी अंतर्दशा काल में दुर्बुद्धि, मनोव्यथा, जेल तथा बन्धुनाश होता है।
=> वही मंगल नीचस्थ या निर्बल हो तो भाइयो के साथ विरोध, कार्यनाश,
राजमूलक ये सभी होते है। 2,7 के अधिप यदि नीच स्थान में या दुर्बल
हो तो शारीरिक पीड़ा, मनोव्यथा आदि दुष्फल होते है।
उपाय => शांति के लिए वेदपाठ ,जप, दान करे।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए