सूर्य में राहु की अंतर्दशा फल:-
=> राहु यदि लग्न से केंद्र या त्रिकोणगत हो तो सूर्य की दशा में राहु की
अंतर्दशा आने पर दो मास धननाशकर तथा भयप्रद होते है।
=> उस समय चोर, सर्प, वर्ण का भय, स्त्री तथा पुत्र को कष्ट होता है।दो
महीने के बाद सुख प्राप्ति होती है।
=> यदि राहु शुभग्रहयुक्त या शुभनवांश में हो तो मानसिक संतुष्टि,
राजप्रतिकर सुख होते है।
=> लग्न से उपचयस्थान (3,6,11,10) में वे योग कारकग्रह से युक्त हो या
दशापति से शुभराशि में हो तो राज्य से सम्मान, भाग्यवृद्धि, यशोलाभ,
स्त्री, पुत्र को सुख तथा घर में पुत्रोत्सवजनित कल्याण होता है।
=> दशापति से 8,12 स्थानों में से कही निर्बल राहु रहे तो बन्धन, स्थांभ्रंश,
कारावास चोर, सर्प, व्रण का भय, स्त्री पुत्र को कष्ट, पशु, घर, भूमि का
भी विनाश, गुल्म, क्षयरोग तथा अतिसार का भी प्रकोप होता है।
=> द्वितीय तथा सप्तम में इनके अधिशो के साथ राहु रहे तो अपमृत्यु तथा
सर्प का भय होता है।
उपाय=> शांति के लिए दुर्गापाठ, काली गाय तथा भेस का दान करे।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए