अब हम मंगल की दशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का फल बताएँगे
मंगल ग्रह , भूमि, सेना पराक्रम, भाई और ऊर्जा का कारक होता है, मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इसे मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। मकर इनकी उच्च राशि है, और कर्क इनकी नीच राशि कहलाती है।
मंगल में शुक्र की अन्तर्दशा फल:-
केन्द्र, त्रिकोण, लाभस्थान, सवोच्च या स्वभवनगत शुक्र हो तो शुभस्थानाधीश वे हो तो मंगल की दशा में शुक्र की अन्तर्दशा आने पर राज्यलाभ, महासौख्य, हाथी, घोडा, वस्त्र, भूषण की प्राप्ति, लग्नेश से सम्बन्ध रहने पर स्त्री-पुत्र को अभिवृद्धि आयुवृद्धि, ऐश्वर्य तथा भाग्यवृद्धि-सुख ये सभी फल होते है।
दायेश से केन्द्र, लाभस्थान, त्रिकोण या धन स्थान स्थित शुक्र हो तो अपनी अन्तर्दशा में लक्ष्मीप्रद होते है। उस समय, पुत्रलाभ, महासुख, अपने प्रभु से भी सुख,धन वस्त्र-प्राप्ति, राजा की कृपा से ग्रामादि का लाभ, अन्तर्दशा में गीत, नृत्य सुख, पुण्यतीर्थ में स्नान का लाभ, ये सभी फल होते है । वही शुक्र राज्येश के साथ हो तो पूण्य, धर्म-कार्य आदि शुभकारक होते है।
दशापति (मंगल) से 6,8,12 सपाप शुक्र हो तो अन्तर्दशा काल में देहपीड़ा, राजा तथा चोर से भय, गृहकलह, स्त्री पुत्रो को कष्ट गवादि पशुक्षय होते है। वही शुक्र दशेश से 2,7 के ईश हो तो शारीरिक कष्ट होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए