ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल
चन्द्र
पहला भाव:- यदि चंद्रमा पहले भाव में हो तो यात्रा से लाभ, तरस तरस कर प्राप्त बच्चा, जन्म हस्पताल, बहने अधिक, औरत आने से माता दुखी हो। सुन्दर, दानी, विद्वान, मानसिक गड़बड़, उच्च पद प्राप्त करे। स्वास्थ्य में गड़बड़, विद्या उत्तम। यदि चन्द्रमा लग्न में हो तो शारीरिक सुख साधारण हो, मानसिक प्रसन्नता रहे। गान, वाद्य, सांख्य और योग का अभ्यास हो, कभी कभी दुर्बल तथा कभी कभी मोटा हो, स्त्री सुख अच्छा रहे, और व्यवसाय की उन्नति होती है।
दूसरा भाव:- यदि चन्द्रमा दूसरे भाव में हो तो गले की खराबी,झगड़ालू, टोंसिल बड़े हुए, लोहा लंगर का मालिक, जन्म से बड़ा भाई अथवा बड़ा हो। मांगलिक योग। यदि बुरे काम झगड़ा फसाद आदि करे तो कष्ट पाए। ससुराल से लाभ, खर्चीला। तथा धन सुख और कुटुम्ब सुख उत्तम हो, भोजन अच्छा मिले, तीक्ष्ण रसप्रिय हो , शीतल स्वभाव, सहनशील, दयालु भगिनीवान, अल्प भातृवान हो।
तीसरा भाव:- यदि चन्द्रमा तीसरे भाव में हो तो भाई बहनों के साथ गड़बड़, साहसी, सब्र संतोष वाला परन्तु ऐय्याश, हरफनमौला, दुसरो के लिए बढ़िया, अपना बुरा हो हौसलामंद। सुखी गृहस्थ जीवन, संबंधियों के स्वास्थ्य आदि से दुखी हो। हाथ व् बाहों पर चोट लगने का डर। तथा बुद्धियुक्त चंचल, घूमने वाला होता है।
चौथा भाव:- यदि चन्द्रमा चौथे भाव में हो तो मंगलीक योग, माँ, नानी, सास, स्त्री पर भारी, मकान पर पेड़ की छाया, दुसरो पर लेक्चर झाड़ने वाला। प्लाट, जमीन, वाहन, माता को कष्ट, कृषि कार्यो से लाभ, घर से दूर रहे। घर में आग की घटनाएं, फायर सर्विस, आग। एवं ग्रहादि सुखयुक्त, बंधुयुक्त, मित्रयुक्त, विनीत,दयालु, शान्त स्वभाव का और बुद्धिमान होता है।
पांचवा भाव:- यदि चन्द्रमा पाचवे भाव में हो तो अच्छी विद्या, संतान लड़का हो, लड़कियों की जोड़ी, धनी, सम्पन्न, रात का बेचैन, अनिंद्रा। पेट के रोग, ऑपरेशन तक होने की संभावना। हकीम डॉक्टर, बड़े बूढो अथवा बुजुर्गो को स्वास का कष्ट, अचानक दौरे पड़ने। यदि बुरी दृष्टि तो संतान असुख , क्रोधी एवं विश्वासघाती। बुद्धिमान, विद्वान, अनेक शास्त्र को जानने वाला, गानप्रिय, पुत्र कन्यायुक्त, विनीत मनुष्य को पहचानने वाला तथा क्षमाशील होता है।
छठा भाव:- यदि चन्द्रमा छठे भाव में हो तो साहसी, शत्रु नाशक, सेना, पुलिस अधिकारी, भाइयो की हानि,तरस तरस के प्राप्त बच्चा, सन्तान कम, एक लड़का एक लड़की अवश्य सोने से लाभ नहीं। माता का स्वास्थ्य श्रीण। यदि कुदृष्टि तो फ़सादी, झगड़ालू, फरेबी झूठा हो। लड़कपन में दुखी, शत्रु से दुखी, अल्पव्ययी, नेत्र विकार युक्त पशुप्रिय तथा भृत्यप्रिय होता है।
सातवाँ भाव:- यदि चन्द्रमा सातवे भाव में हो तो मंगलीक योग सूचित, पत्नी का स्वास्थ्य श्रीण, दुर्घटना की आशंका। राज अधिकारी। गृहस्थ जीवन अशान्त। क्रोधी, घमंडी, पत्नी की साथ अनबन। खर्च आय आवाजाही चले। कामी, मितभाषी, चंचल, विलासी, मृदुवाक, शीतल स्वभाव, व्यवसायी और घूमने वाला होता है।
आठवा भाव:- यदि चन्द्रमा आठवे भाव में हो तो पेट के ऊपरी भाग के रोग, ज्वर, शराबी, फ़सादी, मंगलीक योग, पत्नी से झगड़ा, गृहस्थ जीवन अशान्त, छोटा भाई नहीं, कई बार अकेला ही। यदि छोटा भाई तो आयु में बड़ा अन्तर। ड्राइवर, इंजीनियर, आदि में सफल। दुर्घटनाओं की सदैव आशंका।चंचल,ईर्ष्यालु, नीच बुद्धियुक्त, चिन्ताशील, हेतुवादी, दानी तथा अल्पकुटुंबी होता है।
नवा भाव:- यदि चंद्रमा नवे भाव में हो तो बढ़िया खानदान अथवा शाही खानदान, डॉक्टर, वैद्य, हकीम,। पिता के लिए शुभ भाइयो का जोड़ा।28 वर्षो से खूब उन्नति करे। उच्चधिकारी, घमण्डी, क्रोधी, अभिमानी मंत्री नेता। धर्मात्मा, चंचल, विदेशप्रिय, संयमी, बुद्धिमान, विद्याप्रिय, सुशिल, साहसी होता है।
दसवां भाव:- यदि चन्द्रमा दसवे भाव में हो तो धनी, अधिकारी, प्रबंधक, डॉक्टर, सर्जन, इंजीनियर, पुलिस सेना। ताए चाचे की हालत बढ़िया। खानदान को ऊँचा उठाने वाला। राज दरबार उत्तम। सन्तान प्राप्ति में विलम्ब। दीर्घायु, मनस्वी, राजकार्य युक्त, बुद्धिमान, विलासी, भोगी, मित्रयुक्त, धर्मात्मा होता है।
ग्यारहवा भाव:- यदि चन्द्रमा ग्याहरवें भाव में हो तो साहसी, सर्जन, अधिकारी, धनी। भाइयो से कोई लाभ नहीं अथवा कम लाभ। संतान में विलम्ब। परिजनों से बिगाड़। यात्रा में दुर्घटना भय। शराबी एवं झूठ भी बोले। मंतज्ञ, प्रदेशप्रिय, मनस्वी होता है।
बारहवा भाव:- यदि चन्द्रमा बाहरवें भाव में हो तो गुप्त शत्रु हो फजूल का खर्च, बुजुर्गो की हालत बुरी, स्वास्थ्य के लिए। स्त्री एवं माया की कल्पना करें। व्यापारी, गृहस्थ जीवन अशान्त, नजर कमजोर, चर्मरोग, फ़सादी, पहला लड़का होने से किस्मत चमके। भाइयो में बड़ा, यदि छोटा हो तो बड़ो के लिए अशुभ होगा। चिन्ताशील, शत्रुयुक्त, अधिक व्ययी, मानी, सुरूप तथा मृदुभाषी होता है।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए