ग्रहों का कुण्डली के भावो में फल
केतु
पहला भाव:- यदि केतु पहले भाव में हो स्वास्थ्य हल्का, अस्थिर चित्त, डरपोक, घरेलु चिंता, कामुक, जन्म घर से बाहर, हस्पताल आदि।
दूसरा भाव:- यदि केतु दूसरे भाव में हो तो राज दरबार उत्तम, प्रबन्धक, यात्राएं बहुत हो, धन की आवाजाही। किस्मत में उतार चढ़ाव हो।
तीसरा भाव:- यदि केतु तीसरे भाव में हो तो धन एवं स्वास्थ्य हल्के, अस्थिर मन, भाई बहन काम अथवा बिगाड़।रीढ़ की हड्डी, घुटने, पैर के विकार। कमर दर्द, बुजुर्ग सहायता करें। परदेस का जीवन हो।
चौथा भाव:- यदि केतु चौथे भाव में हो तो आलसी, माता दुखी। जन्म के समय माता को कष्ट। स्वास्थ्य खराब, शुगर रोग। सन्तान के विघ्न। माता के घर यात्रा हो।
पाचवा भाव:- यदि केतु पाचवे भाव में हो तो सन्तान के लिए बुरा। बुद्धिमान परन्तु क्रोधी। होमियो का डॉक्टर।
छठा भाव:- यदि केतु छठे भाव में हो तो डरपोक, अधीर, दुर्घटना, धनी, मुकदमेबाजी, वकील, पैरो के विकार। मूत्र विकार, जोड़ो का दर्द।
सातवाँ भाव:- यदि केतु सातवे भाव में हो तो गृहस्थ जीवन अशांत, कामुक, पति पत्नी के सम्बन्धो में बिगाड़। जितने पत्नी के भाई बहन उतने ही जातक के बच्चे।
आठवा भाव:- यदि केतु आठवे भाव में हो तो बुरे विचार परन्तु दिमागी, चतुर, सन्तान का सुख, सन्तान के लिए बुरा। दुर्घटना। यात्रा इच्छा के विरुद्ध हो। हर आठवे वर्ष बुरा प्रभाव दे।
नवा भाव:- यदि केतु नवे भाव में हो तो 48 वर्ष बाद उन्नति। पिता का आज्ञाकार। परिश्रम द्वारा धनवान बने। दिल अथवा मर्जी की यात्रा हो। धन आवाजाही।
दसवाँ भाव:- यदि केतु दसवे भाव में हो तो अवसरवादी एवं चालबाज, माता के लिए बुरा। होमियोपैथिक डॉक्टर।धनी, सम्पन्नता, पिता के साथ अनबन। धन की आवाजाही।
ग्यारहवाँ भाव:- यदि केतू ग्याहरवें भाव में हो तो आलसी, अच्छी सन्तान का मालिक, अधिकारी, सरकारी सम्बन्ध।अनुचित तरीको से भी धन कमाए। पिता के लिए अशुभ।
बारहवा भाव:- यदि केतु बाहरवें भाव में हो तो ऐश आराम, प्रेम सम्बन्ध, गुप्त सम्बन्ध, गुप्त विद्या, जादू टोने जाने। तांत्रिक। यात्रा हो तो लाभ। स्त्री जातक को प्रेम रोग
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए