चन्द्रमा से दूसरे और बाहरवें, दोनों स्थानों पर ग्रह हो, तो दूरधरा योग बनता है।
फल:- दूरधरा योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति योग्य, दृढ़निश्चयी, धनवान एवं अपने कार्यो से प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला होता है।
नोटः- दुरधरा योग एक महत्वपूर्ण योग है, जिसमे जातक धन, प्रसिद्धि पराक्रम एवं आदर प्राप्त करता है , परन्तु दुरधरा योग 108 प्रकार के होते है। उदाहरणार्थ , चन्द्र से दूसरे भाव में मंगल और बाहरवें भाव में बुध हो तो, दुसरा फल होगा, परन्तु यदि चन्द्र से दुसरे भाव में मंगल और बाहरवें भाव में गुरु होगा तो, अन्य प्रकार का होगा। इसी प्रकार दूसरे भाव में बुध और बाहरवें भाव में भोम होने से फल अलग होगा इसलिए इस प्रकार के योगों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना चाहिए
दूसरे और बाहरवें भाव में जो ग्रह बलवान होगा। उस ग्रह की महादशा में और कम बलवान ग्रह की अंतर्दशा में जातक को दुरधरा योग का फल प्राप्त होगा।
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर तथा हम से परामर्श कर ही किसी भी निर्णय पर पहुचना चाहिए